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Wednesday 26 September 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #260


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सुलेमान عليه السلام परिंदों की बोलियां समझते*

     ये तो हम रोज़ मर्रा मुशाहिदा करते है कि परिंदे ज़रूर अपनी बोलियां बोलते है। एक दूसरे से मुहब्बत के वक़्त उनका बोलने का अंदाज़ और होता है। लड़ते वक़्त उनके बोलने का अंदाज़ और होता है। जब उन पर कोई दरिंदा या शिकारी शिकार करता है तो उनके कलाम की नोइयात कुछ और ही होती है। सुलेमान عليه السلام को अल्लाह ने परिंदों की बोलियां समझने की कुव्वत अता फ़रमाई थी आप समझ लेते थे कि ये क्या कह रहे है।

     आप عليه السلام ने मोर की आवाज़ को सुनकर कहा कि ये कह रहा है कि जैसा करोगे वैसा भरोगे। हुद हुद की आवाज़ को सुन कर कहा कि ये कह रहा है कि गुनाहगारो अल्लाह से मगफिरत तलब करो। खत्ताफ (लंबे बाजुओं वाला, छोटे पांव वाला, स्याह रंग का परिंदा) की बोली सुन कर कहा कि ये कह रहा है कि नेकी के काम करो, ताकि आगे उनकी जज़ा पाओ।

     कुमारी मि आवाज़ को सुन कर कहा कि ये तस्बीह पढ़ रही है "सुब्हान रब्बियल आ'ला"। चील की आवाज़ को सुन कर कहा कि ये कह रहा है कि रब के बगैर हर चीज़ को फना होजाना है। भट तीतर की आवाज़ को सुन कर कहा कि ये कह रहा है कि जो खामोश रहा वो सलामती में रहा। मुर्ग की आवाज़ को सुन कर कहा कि ये कह रहा है कि ए ग़ाफ़िलो अल्लाह को याद करो। गिद्ध की आवाज़ को सुन कर कहा कि ये कह रहा है कि ए इंसान तुम चाहे जितना ज़िंदा रहो आखिर तुझे मौत आनी है। अकाब की आवाज़ को सुन कर कहा कि ये कह रहा है कि लोगो से दूर रहने में ही उन्स है। मेंढक की आवाज़ को सुन कर कहा कि यके तस्बीह पढ़ रहा है "सुब्हानल रब्बियल कुद्दुस"।

     कयल रहे कि इन परिंदों की हमेशा यह बोली नहीं होती बल्कि बाज़ औक़ात ये बोली उन्होंने बोली।

     आपने कहा कि अल्लाह ने हमें हर चीज़ अता की है ये बतौरे शुक्र है बतौरे फख्र नहीं। जैसे नबीए करीम ﷺ ने फरमाया में औलादे आदम का सरदार हूं मुझे इस पर कोई फख्र नहीं यानी में नेअमत के इज़हार और शुक्र के तौर पर कह रहा हूँ।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 218

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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