بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
एक और मक़ाम पर अल्लाह अपने ज़िक्र से गफलत बरतने वालों को झिंझोड़ते हुए यूँ फरमा रहा है :
ऐ ईमान वालो ! तुम्हें तुम्हारा माल और तुम्हारी औलाद अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न कर दे और जिसे (उसके माल और उसकी औलाद ने अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल कर दिया) तो वही लोग घाटा उठाएंगे।
*✍🏼सूरए मुनाफिकुन 9, पारह 28*
मुफ़स्सिरीन फ़रमाते है कि यहाँ ज़िक्र से मुराद नमाज़ है। इस तौजीह (बात) को पेशे नज़र रखे और मुआशरे का मुहासबा करें तो जो कड़वी हक़ीक़त हमारे सामने उभरकर आती है वो ये है कि इस दौर में ज़्यादातर लोग जो नमाज़ से दूर है उनकी नमाज़ से दुरी का सबब या तो मालो दौलत जमा करने की धुन है या फिर इसकी वजह ये है कि वो औलाद की देख रेख और दीगर ज़रूरीआत की फ़िक्र में गिरफ्तार है। जबकि अल्लाह ने खुले लफ़्ज़ों में फरमा दिया है कि जो लोग माल की मुहब्बत या औलाद की फ़िक्र में नमाज़ छोड़ेंगे तो वही ख़सारे में रहेंगे। और शायद नमाज़ छोड़ने की एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि लोगों के दिलों में अब आख़िरत की बर्बादी और अज़ाबे इलाही की फ़िक्र बाक़ी नहीं है। जब की अल्लाह फ़रमाता है :
और आख़िरत का अज़ाब निहायत ही सख्त और तकलीफदेह है। काश ! लोग इसे समझ लेते।
*✍🏼सूरए जुमर 26, पारह 23*
*✍🏼नमाज़ की अहमिय्यत* 11
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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