Pages

Friday 28 September 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-11, आयत, ⑨⑤*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     और कभी उसकी आरज़ू न करेंगे (25) उन बुरे कर्मों के कारण जो आगे कर चुके (26) और अल्लाह ख़ूब जानता है ज़ालिमों को


*तफ़सीर*

     (25) यह ग़ैब की ख़बर और चमत्कार है कि यहूदी काफ़ी ज़िद और सख़्त विरोध के बावुजूद मौत की तमन्ना ज़बान पर न ला सके.

     (26) जैसे आख़िरी नबी और क़ुरआन के साथ कुफ़्र और तौरात में काँट छाँट वग़ैरह. मौत की महब्बत और अल्लाह से मिलने का शौक़, अल्लाह के क़रीबी बन्दों का तरीक़ा है. हज़रत उमर (अल्लाह उनसे राज़ी) हर नमाज़ के बाद दुआ फ़रमाते. ” अल्लाहुम्मर ज़ुक़नी शहादतन फ़ी सबीलिका व वफ़ातन बिबल्दि रसूलिका” (ऐ अल्लाह, मुझे अपने रास्तें में शहादत अता कर और अपने प्यारे हबीब के शहर में मौत दे). आम तौर से सारे बड़े सहाबा और विशेष कर बद्र और उहद के शहीद और बैअते रिज़्वान के लोग अल्लाह की राह में मौत की महब्बत रखते थे. हज़रत सअद बिन अबी वक़्क़ास (अल्लाह उनसे राज़ी) ने काफ़िर लश्कर के सरदार रूस्तम बिन फ़र्रूख़ज़ाद के पास जो ख़त भेजा उसमें तहरीर फ़रमाया था. “इन्ना मअना क़ौमन युहिब्बून मौता कमा युहिब्बुल अआजिमुल ख़म्रा” यानी मेरे साथ ऐसी क़ौम है जो मौत को इतना मेहबूब रखती है जितना अजमी लोग शराब को. इसमें सुन्दर इशारा था कि शराब की दूषित मस्ती को दुनिया की महब्बत के दीवाने पसन्द करते हैं और अल्लाह वाले मौत को हक़ीक़ी मेहबूब से मिलने का ज़रिया समझकर चाहते हैं. सारे ईमान वाले आख़िरत की रग़बत रखते हैं और लम्बी ज़िन्दगी की तमन्ना भी करें तो वह इसलिये होती है कि नेकियाँ करने के लिये कुछ और समय मिल जाए जिससे आख़िरत के लिये अच्छा तोशा ज़्यादा जमा कर सकें. अगर पिछले दिनो में गुनाह ज़्यादा हुए हैं तो उनसे तौबह और क्षमा याचना कर लें. सही हदीस की किताबों में है कि कोई दुनिया की मुसीबत से परेशान होकर मौत की तमन्ना न करे और वास्तव में दुनिया की परेशानियों से तंग आकर मौत की दुआ करना सब्र और अल्लाह की ज़ात पर भरोसे और उसकी इच्छा के आगे सर झुका देने के ख़िलाफ़ और नाजायज़ है.

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

*​DEEN-E-NABI ﷺ*

📲JOIN WHATSAPP

*(बहनों के लिये अलग ग्रुप)*

📱+91 95580 29197

📧facebook.com/deenenabi

📧Deen-e-nabi.blogspot.in

📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment