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Saturday 20 October 2018

*बरज़ख़ का बयान* #02


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सवाल* : बरज़खी ज़िन्दगी की कैफीय्यत कैसी होतो है?

     *जवाब* : बरज़ख़ में किसी को आराम है और किसी को तकलीफ। राहत व लज़्ज़त, दुख व मुसीबत, सुरूर व गम सब हालतें बरज़ख़ में है।


     *सवाल* : क़ब्र के अज़ाब व इनआम का इन्कार करने वाले का क्या हुक्म है?

     *जवाब* : ऐसा शख्स गुमराह है।


     *सवाल* : क्या मरने के बाद भी रूह का ताअल्लुक़ इंसान के बदन के साथ बाक़ी रहता है?

     *जवाब* : जी हां! अगरचे रूह बदन से जुदा हो गई मगर बदन पर जो गुज़रेगी रूह ज़रूर उस से आगाह होगी।

*✍️दिलचस्प मालूमात* 25

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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