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Saturday 20 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #284


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*बादशाह के लिये तालुत का इन्तेख़ाब*

     पहले क़ौम ने खुद ही अशमुईल عليه السلام से सवाल किया कि हमें कोई बादशाह अता करें। जब आप عليه السلام ने बताया कि अल्लाह ने तुम्हारे लिये तालुत को बादशाह मुन्तख़ब किया है, अब उसका इनकार करने लगे कि ये कैसे हमारे बादशाह हो सकता है?

     क़ौम का उसे बईद समझना दो वजह से था। एक ये की बनी इस्राइल में नबुव्वत लादी बिन याकूब की औलाद में आ रही थी इस खानदान से दाऊद और सुलेमान عليه السلام थे चूंकि तालुत उन दोनों क़बीलों में से एक से भी नहीं थे। दूसरी वजह ये थी कि तालुत एक गरीब शख्स थे रंग साज़ थे या माशकी थे लिहाज़ा उन्होंने कहा: इसे माल की वुसअत भी नहीं दी गई। वो हमारे बादशाह कैसे हो सकते है?

     अशमुईल عليه السلام ने जवाब दिया तालुत बादशाह का मुस्तहिक़ इसलिये है कि अल्लाह ने इसे मख्तस कर दिया है और तुम से ज़्यादा उसे पसन्द करके चुन लिया है और मुल्क अल्लाह का है जिसे चाहे अता कर दे। और उसके इन्तेख़ाब में एतराज़ करना साहबे अक़्ल का काम नहीं।

     और ज़ाहिर चीज़ जिसे तुम भी समझ सकते हो वो ये है कि बादशाह के लिये इल्म और जिस्मानी ताक़त ज़्यादा होनी चाहिये ये दोनों चीज़े तालुत को तुमसे ज़्यादा हासिल है इसी वजह से वो बादशाह का मुस्तहिक़ हुआ।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 250

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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