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*माह 4* - रबीउल आखिर
*हिजरी* - 1440
*विलादत*
खलीफए अव्वल हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़
आला हज़रत अशर्फमियां (किछौछा शरीफ)
*उर्स*
ख्वाजा लाल मुहम्मद दरीयाई (बीरपुर शरीफ)
सैयद रहिमुद्दीन शाह (चक्लासी)
सैयद सालार सालेहबावा (कुरजारोड, भरुच)
*नॉट*
3 बार कुल्हुवल्लाह, एक बार सूरए फातिहा आगे पीछे दुरुद शरीफ पढ़ के हुज़ूर ﷺ की व इन बुज़ुर्गाने दिन की बारगाह में और हज़रत आदम ता क़यामत तक के तमाम मोमिनो की रूह को नज़र कर दीजिये।
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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