*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
और आपस में एक दूसरे का माल नाहक़ ना खाओ और ना हाक़िमों के पास उनका मुक़दमा इसलिये पहुंचाओ कि लोगों का कुछ माल नाज़ायज़ तौर पर खालो (20) जानबूझकर.
*तफ़सीर*
(20) इस आयत में बातिल तौर पर किसी का माल खाना हराम फ़रमाया गया है, चाहे वह लूट कर छीन कर या चोरी से या जुए से या हराम तमाशों से या हराम कामों या हराम चीज़ों के बदले या रिशवत या झूटी गवाही या चुग़लख़ोरी से, यह सब मना और हराम है. इससे मालूम हुआ कि नाजायज़ फ़ायदे के लिये किसी पर मुक़दमा बनाना और उसको हाकिम तक लेजाना हराम और नाजायज़ है. इसी तरह अपने फ़ायदे के लिये दूसरे को हानि पहुंचाने के लिये हाकिम पर असर डालना, रिशवत देना हराम है. हाकिम तक पहुंच वाले लोग इन आदेशों को नज़र में रख़ें. हदीस शरीफ़ में मुसलमानों को नुक़सान पहुंचाने वाले पर लानत आई है.
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
*DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
*(बहनों के लिये अलग ग्रुप)*
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Blog : Deen-e-nabi.blogspot.in
📧YouTube : https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA
📧Teligram : https://t.me/joinchat/AAAAAEmfxlvfVocFrnIygA
No comments:
Post a Comment