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Tuesday 29 January 2019

दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #08

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसीबत ज़दा को देख कर पढ़ने की दुआ_*

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْٓ عَافَانِىْ مِمَّا ابْتَلَاكَ بِهٖ وَفَضَّلَنِىْ عَلٰى كَثِيْرٍ مِمَّنْ خَلَقَ تَفْضِيْلًا

*तर्जमा* - अल्लाह का शुक्र है जिस ने मुझे मुसीबत से आफिय्यत दी जिस में तुझे मुब्तला किया और मुझे अपनी बहुत सी मख्लूक़ पर फ़ज़ीलत दी।

*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/272*

     जो शख्स किसी बला रसीदा को देख कर ये दुआ पढ़ लेगा انشاء الله उस बला से महफूज़ रहेगा।


     हर तरह के अमराज़ व बला में मुब्तला को देख कर ये दुआ पड़ सकते है। लेकिन 3 किस्म की बीमारियो में मुब्तला को देख कर ये दुआ न पढ़ी जाए, इस लिये की मन्कुल है की 3 बीमारियो को मकरूह न रखो।

     1 ज़ुकाम की हस की वजह से बहुत सी बीमारियो की जड़ कट जाती है।

     2 खुजली की इस से अमराज़े जिल्दिया और जुज़ाम वगैरा का इंसीदाद हो जाता है।

     3 आशोबे चश्म न बिनाई को दफा करता है।

*✍🏽तलफुज़ाते आला हज़रत, 1/28*

     इस दुआ को पढ़ते वक़्त इस बात का ख्याल रखे की मुसीबत ज़दा तक आवाज़ न पहुचे क्यू की इससे उसकी दिल शिकनी हो सकती है।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 209*


*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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