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Tuesday 15 January 2019

*मिस्कीनों के लिये जन्नत*


  بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ   

         वोह मुसल्मान जो आज अहले दुन्या की नज़र में हकीर तसव्वुर किये जाते हैं, गरीब समझ कर हल्कए अहबाब से दूर कर दिये जाते हैं , किल्लते माल के सबब मुंह नहीं लगाए जाते, लेकिन कुरबान जाइये अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त की रहमत पर कि येही लोग जन्नत के लिये बाइसे इज्ज़त व अ-ज़मत हैं जैसा कि हज़रते सय्यदुना अबू हुरैरा رضی اﷲ تعالٰی عنه रिवायत करते हैं कि गरीबों के मल्जा व मावा, अहमदे मुज्तबा, मुहम्मदे मुस्तफा ﷺ का फ़रमाने वाला शान है : “जहन्नम और जन्नत में मुबा-हसा हुवा तो जहन्नम ने कहा :“मुझे ज़ालिम और मु-तकब्बिर लोगों के साथ फजीलत दी गई है।"

    जन्नत ने कहा : "मुझे क्या हुवा कि मुझ में सिर्फ कमजोर व लाचार और आजिज लोग दाखिल होंगे।"  तो अल्लाह तबा-र-क व तआला ने जन्नत से फ़रमाया : "ऐ जन्नत ! तू मेरी रहमत है , मैं अपने बन्दों में से जिस पर चाहूंगा तेरे जरीए रहम फ़रमाऊंगा।" और दोज़ख़ से फ्रमाया। ऐ जहन्नम ! तू मेरा अज़ाब है मैं अपने बन्दों में से जिसे चाहूंगा तेरे जरीए अज़ाब दूंगा।" 

    हज़रते सय्यदुना अल्लामा अली बिन सुल्तान मुहम्मद कारी رحمتُ اﷲِ تعَالٰی علَيه इस हदीसे पाक में मौजूद लफ्ज़ *"ضُعَفَاء"* की वज़ाहत करते हुए फरमाते हैं : "यहां कमज़ोरों से मुराद वोह मुसल्मान हैं जो माली और जिस्मानी तौर पर कमजोर हैं।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼 ग़रीब फाएदे में है   पेज 14*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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