*सज्दए शुक्र का बयान*
औलाद पैदा हुई या माल पाया या गम हुई चीज़ मिल गई या मरीज़ ने शिफ़ा पाई या मुसाफिर वापस आया अल गरज़ किसी नेमत के हुसूल पर सज्दए शुक्र करना मुस्तहब है। इसका तरीक़ा वही है जो सज्दए तिलावत का है।
*#आलमगिरी 1/136*
इसी तरह जब भी कोई खुश खबरी या नेमत मिले तो सज्दए शुक्र करना कारे सवाब है, मसलन हज़ का वीज़ा लग गया, किसी सुन्नी आलिमे बा अमल की ज़ियारत हो गई, मुबारक ख्वाब नज़र आया, तालिबे इल्मे दीन इम्तिहान में कामयाब हुवा, आफत टली या कोई दुश्मने इस्लाम मरा वगैरा वगैरा।
*#नमाज़ के अहकाम 214*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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