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Saturday 16 July 2016

मदनी पंजसुरह

*सूरए यासीन शरीफ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते हस्सान बिन अतिय्याرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की, हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : तौरात में सूरए यासीन का नाम "मुहम्मद" है, क्यू की ये अपनी तिलावत करने वाले को दुन्या और आख़िरत की हर भलाई आता करती है,
और दुन्या व आख़िरत की बलाए इससे दूर करती है,
और दुन्या व आख़िरत की होलनाकियो से नजात बख्शती है।

और इसका नाम "मुदाफि-अतुल-क़ादियाह" भी है, क्यू कि ये अपनी तिलावत करने वाले से हर बुराई को दूर कर देती है और इस की हर हाजत पूरी करती है,

जिस शख्स ने इसकी तिलावत की ये उसके लिये 20 हज के बराबर है,

और जिसने इसको लिखा फिर इसे पिया तो उसके पेट में हज़ार दवाए, हज़ार नूर, हज़ार यक़ीन, हज़ार बरकतें और हज़ार रहमते दाखिल होगी और इस से हर धोका और हर बिमारी दूर हो जाएगी।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 7/37*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 21*
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