Pages

Saturday 23 July 2016

फुतूह अल ग़ैब

*एअतेराफे तकसीर और इस्तिगफार*
(हिस्सा-4)

*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

     ये वाज़ेह है के अल्लाह तबारक व तआला हर शै पर कादिर है। उसको कुदरत से आजिज़ न समजना, तकदीरो तदबीर पर इतहाम (तोहमत लगाना) न तराशना, उसके वादों पर किसी शक-शुबाका इज़हार न करना। ताके हुजूरे अकरम ﷺ के अस्वए हुस्ना (अच्छे नमूने) की तकलीद कर शको।   हुज़ूर ﷺ  पर आयतें और सूरतें नाज़िल हुइ। इन्हें सफह में लिखा गया और मस्जिदो मेहराबमें पण्हा गया। फिर उन्हें मन्सूख करके दूसरी आयत लाइ गइ। ये हुज़ूर ﷺ  शरइ और ज़ाहिरी हालत थी। आपके बातिनी एहवाल और उलूमसे या आप खुद वाकिफ है। या आपका खुदा।
      हुजूर ﷺ  ने इरशाद फरमाया के जब मेरे दिल को ढांप लिया जाता तो में हर रोज सत्तर (70) मरतबा (एक और रिवायतमें है के सो-100 मरतबा) मगफेरत करता था और वो हालत दुसरी हालतमें तबदील कर दी जाती थी।

बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 15
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 9033 503 799
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment