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Tuesday 19 July 2016

तफ़सीरे अशरफी


हिस्सा-42
*सूरए बक़रह, पारह-01*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ④ⓞ_तर्जुमह*
अय औलादे यअक़ूब ! याद करो मेरी नेअमत को, जो इनआम फ़रमाया था मेने तुम पर, और पूरा करो मेरा अहद, के में पूरा कर दू तुम्हारा अहद, और बस मुझ ही से डरा करो।

*तफ़सीर*
     अय औलादे यअक़ूब ! (यहूदियो !) मेरा एहसान मानो और याद करो मेरी दी हुई नेअमत को, जो सिर्फ अपने करम से इनआम फ़रमाया था मेने तुम यहूदियो पर। अब भी अगर तुम अपना गद्दारिका रवैय्या बदल दो और पूरा मेरा अहद, जो मेने मज़बूती के साथ तुमसे लिया था, तो याद रखो के में भी पूरा कर दू तुम्हारा अहद, जो मेने तुमसे वादा फ़रमाया था।
     और तुम्हारी सारी बेवफाई की बुन्याद इस पर है के मुझसे निडर हो चुके हो। अगर वफादार बनना मन्ज़ूर हो, तो बस मुज ही से डरा करो। फिर तुम्हे किसी का डर न रह जाएगा।
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
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