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Tuesday 19 July 2016

सिरते मुस्तफाﷺ


*जंगे उहुद*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_काब बिन अशरफ का क़त्ल_*
हिस्सा-01
     यहूदियो में काब बिन अशरफ बहुत ही दौलत मन्द था। यहूदी उलमा और यहूद के मज़हबी पेशवाओ को अपने खज़ाने से तन-ख्वाह देता था। दौलत के साथ शाइरी में भी बहुत बा कमाल था जिस की वजह से न सिर्फ यहूदियो बल्कि तमाम क़बाइले अरब पर इसका एक ख़ास अशर था।
     इसको हुज़ूरﷺ से सख्त अदावत थी। जंगे बद्र में मुसलमानो की फ़त्ह और सरदारो ने कुरैश के क़त्ल हो जाने से इसको इन्तिहाई रन्ज व सदमा हुवा। चुनांचे ये कुरैश की ताज़िय्यत के लिये मक्का गया और कुफ़्फ़ारे कुरैश का जो बद्र में मक़्तूल हुए थे ऐसा पुरदर्द परशिया लिखा कि जिसको सुन कर सामीइन के मजमा में मातम बरपा हो हो जाता था। इस मरशिया को ये शख्स कुरैश को सूना सूना कर खुद भी जारो ज़ार रोटा था और सामेइन को भी रुलाता था।
     मक्का में अबू सुफ़यान से मिला और उस को मुसलमानो से जंगे बद्र का बदला लेने पर उभारा बल्कि अबू सुफ़यान को ले कर हरम में आया और कुफ़्फ़ारे मक्का के साथ खुद भी काबे का गिलाफ पकड़ कर अहद किया कि मुसलमानो से बद्र का ज़रूर इन्तिक़ाम लेंगे।
    फिर मक्का से मदीना लौट कर आया तो हुज़ूरﷺ की हिजू लिख कर शाने अक़दस में तरह तरह की गुस्ताखियां और बे अदबिया करने लगा, इसी पर बस नही किया बल्कि आप को चुपके से क़त्ल करा देने का क़स्द किया।

बाक़ी अगली पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽सिरते मुस्तफा 283*
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