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गौसे पाक का बचपन

😔मुन्ने की लाश😔

✨ख़ानक़ाह में एक बा पर्दा खातुन अपने मुन्ने की लाश चादर में लपेटे सीने से चिपटाए जारो क़तार रो रही थी।

✨इतनेमें एक मदनी मुन्ना दौड़ता हुवा आता है और हमदर्दाना लहजे में उस खातुन से रोने का सबब दरयाफ़्त करता है।

😢वो रोते हुए कहती है : बेटा ! मेरा शोहर अपने लखते जिगर के दीदार की हसरत लिये दुन्या से रुख्सत हो गया है। ये बच्चा उस वक़्त पेट में था और अब ये अपने बाप की निशानी और मेरी ज़िन्दगानी का सरमाया था, ये बीमार हो गया, में इसे इसी खानकाह में दम करवाने ला रही थी की रस्ते में इस ने दम तोड़ दिया है।

😞में फिर भी बड़ी उम्मीद ले कर यहा हाजिर हो गई की इस ख़ानक़ाह वाले बुज़ुर्ग की विलायत की हर तरफ धूम है और इनकी निगाहें करम से अब भी बहुत कुछ हो सकता है, मगर वो मुझे सब्र की तल्किन कर के अंदर तशरीफ़ ले जा चुके है।
😭ये कह कर वो खातुन फिर रोने लगी।

💞मदनी मुन्ने का दिल पिघल गया और उस की रहमत भरी ज़बान पर ये अल्फ़ाज़ खेलने लगे :
✨मोहतरमा ! आप का मुन्ना मरा हुवा नहीं बल्कि ज़िन्दा है, देखो तो सही वो हरकत कर रहा है !

😔दुख्यारि मा ने बेताबी के साथ अपने मुन्ने की लाश पर से कपडा उठा कर देखा।

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🍁मुन्ने की लाश🍁

♻Post~02

😔दुख्यारि मा ने बेताबी के साथ अपने मुन्ने की लाश पर से कपडा उठा कर देखा तो वो सच मुच ज़िन्दा था और हाथ-पैर हिला रहा था।

🔅इतने में ख़ानक़ाह वाले बुज़ुर्ग अंदर से वापस तशरीफ़ लए, बच्चे को ज़िन्दा देख कर सारी बात समाज गए और लाठी उठा कर ये कहते हुवे मदनी मुन्ने की तरफ लपके की तू ने अभी से तक़दीरें खुदावन्दि के सरबस्ता राज़ खोलने शुरुअ कर दिये है।

✨मदनी मुन्ना वहा से भाग खड़ा हुवा और वो बुज़ुर्ग उसके पीछे दौड़ने लगे मदनी मुन्ना यकायक कब्रस्तान की तरफ मुड़ा और बुलंद आवाज़ से पुकारने लगा : ऐ कब्र वालो ! मुझे बचाओ !

🔅तेज़ी से लपकते हुवे बुजीर्ग अचानक ठिठक कर रुक गए, क्यू की क़ब्रस्तान से तिन सो मुर्दे उठ कर उसी मदनी मुन्ने की ढाल बन चुके थे और वो मदनी मुन्ना दूर खड़ा अपना चाँद सा चेहरा चमकता मुस्कुरा रहा था।

✨उस बुज़ुर्ग ने बड़ी हसरत के साथ मदनी मुन्ने की तरफ देखते हुवे कहा : बेटा ! हम तेरे मर्तबे को नहीं पहुच सकते, इस लिये तेरी मर्ज़ी के आगे अपना सरे तस्लीम खम करते है !

🔅मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप जानते है वो मदनी मुन्ना कौन था ?

✨उस मदनी मुन्ने का नाम "सय्यिद अब्दुल क़ादिर" था और आगे चल कर वो गौसुल आ'ज़म के लक़ब से मशहूर हुवे। और वो बुज़ुर्ग उन के ननजान हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह सूमई रहमतुल्लाह अलैहे थे।

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✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 4-5

🌹ज़रा सोचे दोस्ती ये हमारे पिराने पिर गोसे आ'ज़म दस्तगीर का बचपन है, तो जवानी का आ'लम क्या होगा।

🌹या गोस अल-मदद🌹

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✨गौसे पाक का बचपन✨

♻Post~03

🌹🌴सरकार ﷺ की बिशारत🌴🌹

✨महबूबे सुब्हानी, शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी के वालीदे मजीद हज़रते सय्यिदुना अबू सालेह मूसा जंगी दोस्त राह्मतुल्लाहे तआला ने हुज़ूर गौसे आ'ज़म अलैहिर्रहमा की विलादत की रात मुशाहदा फ़रमाया की सरवरे काइनात, फ़ख़रे मौजूदात ﷺ मअ सहाबाए किराम और औलियाए इज़ाम उनके घर जल्वा अफ़रोज़ है और इन अल्फ़ाज़े मुबारका से उन को खिताब फरमा कर बिशारत से नवाज़ा :

✨ऐ अबू सालेह ! अल्लाह عزوجل ने तुम को ऐसा फ़रज़न्द अता फ़रमाया है जो वाली है और वो मेरा और अल्लाह عزوجل का महबूब है और उसकी औलिया और अक़्ताब में वैसी ही शान होगी, जेसी अम्बिया और मुरसलीन अलैहिसलातु वस्सलाम में मेरी शान है।

✒हवाला
📓सीरते गौसे शकलैन, सफा 55

🍁मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! हमारे गौसे पाक की शान किस क़दर बुलंदो बाला है की आप के पैदा होते ही गैब बताने वाले आक़ा ﷺ ने आप के बुलंद मर्तबे और शानो अज़मत की बिशारत दे दी थी नीज़ ये भी बता दिया था की आप तमाम औलिया जे सरदार होंगे इसी लिये आप के पैदा होते ही बरकात व तजल्लीय्यात का जुहूर शुरू हो गया।

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✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 6

✨या शाहे जिलान आप मुहम्मद ﷺ के नूर है खुदा عزوجل के वास्ते हमारी दस्तगिरि फरमाइये....
आमीन.....

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🌟गौसे पाक का बचपन🌟

♻Post~04

✨विलादते बा सआदत✨

🔅हुज़ूर गौसे पाक रहमतुल्लाह तआला अलैहे यकुम रमज़ान बरोज़े जुमुअतुल मुबारक सी. 470 ही. को बगदाद शरीफ के क़रीब क़स्बा जिलान में पैदा हुवे।

✨हैरत अंगेज़ वाकीआत✨

🔅हज़रते सय्यिदुना अब्दुल क़ादिर जिलानी रहमतुल्लाहि तआला अलैहे की विलादत बा सआदत के वक़्त बहुत से हैरत अंगेज़ वाकीआत ज़ुहर पज़ीर हुवे

🔅सबसे बड़ी बात तो ये है की जब आप रौनक अफरोज़ आलम हुवे उस वक़्त आप की वालिदए माजिदा हज़रते उम्मुल खैर फ़ातिमा की उम्र 60 साल की थी, इस उम्र में आम तौर पर औरतो को अवलाद से ना उम्मीदी हो जाती है, ये अल्लाह का खास फ़ज़्ल था की इस उम्र में हुज़ूर गौसे आ'ज़म अलैहिस्सलाम उनके बतने मुबारक से पैदा हुवे।

🔅जिस रात हज़रते सय्यिदुना अब्दुल क़ादिर जिलानी रहमतुल्लाह तआला अलैहे की विलादत हुई, उस रात जिलान शरीफ की जिन औरतो के यहाँ बच्चा पैदा हुवा उन सब को अल्लाह ने लड़का ही अता फ़रमाया और हर नव मौलूद लड़का अल्लाह का वाली बना।

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✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 7-8

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🌟गौसे पाक का बचपन🌟

♻Post~5

✨विलादते बा सआदत✨

🔹आप की विलादत माहे रमज़ानुल मुबारक में हुई और पहले दिन ही से रोज़े रखना शुरू कर दिये, सहरी से ले कर इफ्तार तक आप वालिदए मोहतरमा का दूध न पीते थे।

🔹हज़रते सय्यिदुना गौसे आ'ज़म अलैहिस्सलाम की वालिदए माजिदा उम्मुल खैर फ़ातिमा फ़रमाया करती थी : जब मेरा बेटा अब्दुल क़ादिर पैदा हुवा तो वो रमज़ानुल मुबारक में दिन के वक़्त मेरा दूध नहीं पिता था,

🔹अगले साल रमजान का चांद गुबार की वजह से नज़र न आया तो लोग मेरे पास दरयाफ़्त करने के लिये आए तो मेने कहा की मेरे बच्चे ने दूध नहीं पिया। फिर मालूम हुवा की आज रमज़ान का दिन है और हमारे शहर में ये बात मश्हूर हो गई की सय्यिदो में एक बच्चा पैदा हुवा है जो रमज़ानुल मुबारक में दिन के वक़्त दूध नहीं पिता।

✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 9

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♻Post~05

🔻खेल कूद से बे रागबति🔻

🔹देखा जाता है की बचपन में उमुमन बच्चे खेल कूद की तरफ रागिब होते है और पढाई से दूर भागते है

✨जब की हमारे गौसे पाक की शान तो देखिये की बचपन ही से आप को खेल कूद से कोई रगबत नहीं थी,

✨निहायत साफ सुथरे रहते और ज़बाने मुबारक से कभी कम अक्लि की बात न निकली थी,

✨अपने लड़कपन के मुतअल्लिक़ खुद इर्शाद फरमाते है की उम्र के इब्तिदाई दौर में जब कभी में लड़को के साथ खेलना चाहता तो गैब से आवाज़ आती थी की "खेल कूद से बाज़ रहो" जिसे सुनकर में रुक जाया करता था और अपने गिर्दो पेश पर नज़र डालता तो मुझे कोई कहने वाला दिखाई न देता था, जिससे मुझे दहशत सी मालूम होती, में जल्दी से भागता हुवा घर आता और वालिदए मोहतरमा की आगोशे महब्बत में छुप जाता था,

✨अब वोही आवाज़ में अपनी तन्हाइयो में सुना करता हु, अगर मुझे नींद नहीं आती है तो फौरन मेरे कानो में आ कर मुझे मुतनब्बेह (खबरदार) कर देती है की "तुम को इस लिये पैदा किया गया है की तुम सोया करो।"

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✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 12

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♻Post~06

✨शीकमे मादर में इल्म✨

✨5 बरस की उम्र में जब पहली बार बिस्मिल्लाह पढ़ने की रस्म के लिये किसी बुज़ुर्ग के पास बैठे तो बिस्मिल्लाह पढ़ कर सूरए फातिहा और अलिफ़-लाम-मिम से लेकर 18 पारे पढ़ कर सूना दिये।

✨उन बुज़ुर्ग ने कहा बेटा ! और पढ़िये।

✨फ़रमाया : बस मुझे इतना ही याद है क्यू की मेरी माँ को भी इतना ही याद था,

✨जब में अपनी माँ के पेट में था उस वक़्त वो पढ़ा करती थी, मेंने सुन कर याद कर लिया था।

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✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 15

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⤵Post~7

✨अपनी विलायत का इल्म होना✨

✨हज़ूर गौसे आ'ज़म फरमाते है की जब में बचपन के आ'लम में मदरसे को जाया करता था तो रोज़ाना एक फरिश्ता इंसानी शक्ल में मेरे पास आता और मुझे मदरसे ले जाता, खुद भी मेरे पास बैठा रहता था, में उसे मुतलकन नहीं पहचानता था की ये फरिश्ता है,

✨एक दिन मेने उससे पूछा : आप कौन हो ? तो उसने जवाब दिया की में फरिश्तों में से एक फरिश्ता हु, अल्लाह तआला ने मुझे इस लिये भेजा है की मदरसे में आप के साथ रहा करू।

✨इसी तरह आप फरमाते है, की एक रोज़ मेरे क़रीब से एक शख्स गुज़रा जिस को में बिलकुल न जनता था, उसने जब फरिश्तों को ये कहते सुना की कुशादा हो जाओ ताकि अल्लाह का वाली बैठ जाए, तो उसने फ़रिश्ते से पूछा की ये लड़का किस का है ? तो फ़रिश्ते ने जवाब दिया की ये सादात के घराने का लड़का है, तो उसने कहा की ये अं क़रीब बहुत बड़ी शान वाला होगा।

✨आप राह्मतुल्लाहअलैहे के साहिब ज़ादे शैख अब्दुर्रज़्ज़क रहमतुल्लाहअलैहे का बयान है की एक दफा हुज़ूर गौसे आ'ज़म से दरयाफ़्त किया गया की आप को अपने वाली होने का इल्म कब हुवा ?

✨तो आप ने फ़रमाया की जब में दस बरस का था और अपने शहर के मकतब में जाया करता था और फरिश्तों और को अपने पीछे और इर्द गिर्द चलते देखता, जब मकतब में पहुच जाता तो वो बार बार ये कहते की अल्लाह के वाली को बैठने के लिये जगह दो।

✨इसी वाकिए को बार बार देख कर मेरे दिल में ये एहसास पैदा हुवा की अल्लाह तआला ने मुझे दर्जए विलायत पर फाइज़ किया है।

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✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 18

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⤵Post~08

✨बचपन में राहे खुदा के मुसाफिर बन गए✨

🔹गौसे पाक बचपन ही में इल्मे दिन हासिल करने के लिये राहे खुदा के मुसाफिर बन गए थे। चुनान्चे हज़रत शैख़ मुहम्मद बिन क़ाइद अवानी फरमाते है की हज़रत गौसे आ'ज़म जिलानी ने हम से फ़रमाया की बचपन में हज के दिन मुझे एक मर्तबा जंगल की तरफ जाने का इत्तिफ़ाक़ हुवा और में एक बैल के पीछे पीछे चल रहा था की उस बैल ने मेरी तरफ देख कर कहा :

🔹ऐ अब्दुल क़ादिर तुम्हे इस किस्म के कामो के लिये तो पैदा नहीं किया गया ! में घबरा कर घर लौटा और अपने घर की छत पर चढ़ गया तो क्या देखता हु की मैदाने अरफात में लोग खड़े है, इसके बाद मेने अपनी वालिदए माजिदा की खिदमते अक़्दस में हाजिर हो कर अर्ज़ किया :

🔹आप मुझे रहे खुदा में वक़्फ़ फरमा दे और मुझे बगदाद जाने की इजाज़त मर्हमत फरमाए ताकि में वहा जा कर इल्मे दिन हासिल करू।

🔹वालिदा माजिदा ने मुझसे इसका सबब दरयाफ़्त किया, मेने बैल वाला वाक़ीआ अर्ज़ कर दिया तो उन की आँखों में आसु आ गए और वो 80 दिनार  जो मेरे वालीदे माजिद की विरासत थे, मेरे पास ले आई तो मेने उनमेसे 40 दिनार ले लिये और 40 दिनार अपने भाई सय्यिद अबू अहमद के लिये छोड़ दिये,

🔹वालिदए माजिदा ने मेरे 40 दिनार मेरी गुदड़ी में सी दिये और मुझे बगदाद जाने की इजाज़त इनायत फरमा दी। उन्होंने मुझे हर हाल में रास्तागोइ और सच्चाई को अपनाने की ताकीद फ़रमाई और जिलान के बाहर तक मुझे अल वदाअ कहने के लिये तशरीफ़ लाइ और फ़रमाया :

🔹ऐ मेरे प्यारे बेटे ! में तुझे अल्लाह की रिजा और ख़ुशनूदी की खातिर अपने पास से जुदा करती हु और अब मुझे तुम्हारा मुह कियामत को ही देखना नसीब होगा।

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✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 19-20

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⤵Post~09

✨शौके इल्मे दीन✨

🔹हज़रते सय्यिदुना शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी अलैरहमा के इल्मे दिन हासिल करने का अंदाज़ बड़ा निराला था, आप के शौके इल्मे दिन का अंदाज़ इस बात से लगाइये की आप फरमाते है :

🔹में अपने तालिबे इल्म के ज़माने में असातिज़ा से सबक ले कर जंगल की तरफ निकल जाया करता था, फिर बयाबानो और विरानो में दिन हो या रात, अंधी हो या मूसलधार बारिश, गर्मी हो या सर्दी अपना मुताअला जारी रखता था,

🔹उस वक़्त में अपने सर पर एक छीटा सा इमाम बंधता और मामूली तरकारियां खा कर शिकम की आग सर्द करता, कभी कभी ये तरकारियां भी हाथ न आती, क्यू की भूक के मारे हुवे दूसरे फकरा भी इधर का रुख कर लिया करते थे,

🔹ऐसे अवकेअ पर मुझे शर्म आती थी की में दरवेशों की हक़ तलफि करु, मजबूरन वहा से चला जाता और अपना मुताअला जारी रखता, फिर नींद आती तो खली पेट ही कंकरियो से भरी हुई ज़मीन पर सो जाता।

🔹आप अपने इसी ज़मानए तालिबे इल्मी के बारे में फरमाते है : में ज़माने की जिन सख्तियो से दो चार हुवा, उन्हें बर्दाश्त करते करते पहाड़ भी फट जाता, ये तो उस ज़ाते बे नियाज़ का काम है की में बी आफिय्यत उन खारज़ारो (काँटेदार जंगलो) से गुज़र गया।

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✒हवाला
📚गौसे पाक का बचपन, सफा 20

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