*जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_सुन्नी की तारीफ क्या है ?_* #03
*सवाल :* ईमान व अक़ीदा किसे कहते है ?
*जवाब :* किसी बात को हक़ व सच मान कर दिल में बिठा व जमा लेने और यक़ीन कर लेने को ईमान व अक़ीदा कहते है।
*सवाल :* ईमान व अमल में पहला दर्जा किसका है ?
*जवाब :* पहला मर्तबा ईमान व अक़ीदे का है। क्यू की ईमान (अक़ीदा) ओरा आमाल की मिसाल जिस्म और जान की तरह है, ईमान जान है, आमाल जिस्म। ईमान इमारत की बुन्याद है, आमाल छत है। ईमान जड़ है, आमाल फल है। इस लिये क़ुरआन में जहा अमल का हुक्म फ़रमाया वहा उससे पहले ईमान का मुताबला किया है। जो बेईमान व बद अक़ीदा हो उस पर इस्लामी अहकाम फ़र्ज़ ही नही, उस पर पहले इमां फ़र्ज़ है।
*_सुलह कुल्ली_*
*सवाल :* कुछ लोग कहते है जितनी जमाअते मुसलमान कहलाने वाली है वो सब के सब हक़ पर है, किसी जमाअत को बुरा-भला नही कहना चाहिए। इनके बारे में थोड़ी रौशनी डालिए।
*जवाब :* ऐसा अक़ीदा रखने वालो को सुलह कुल्ली कहते है। इनका ये अक़ीदा हुज़ूर के इस फरमान की : *"एक जमाअत के इलावा बाक़ी मुसलमान कहलाने वाली सारी जमाअते जहन्नमी है"* के खिलाफ है।
हुज़ूर का फरमान है की 73 में सिर्फ एक जन्नती, मगर ऑयलः कुल्लियो का अक़ीदा है की "नहीं सब जन्नती" मआज़ल्लाह।
*✍🏽जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ, 4*
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*सवाल :* ईमान व अमल में पहला दर्जा किसका है ?
*जवाब :* पहला मर्तबा ईमान व अक़ीदे का है। क्यू की ईमान (अक़ीदा) ओरा आमाल की मिसाल जिस्म और जान की तरह है, ईमान जान है, आमाल जिस्म। ईमान इमारत की बुन्याद है, आमाल छत है। ईमान जड़ है, आमाल फल है। इस लिये क़ुरआन में जहा अमल का हुक्म फ़रमाया वहा उससे पहले ईमान का मुताबला किया है। जो बेईमान व बद अक़ीदा हो उस पर इस्लामी अहकाम फ़र्ज़ ही नही, उस पर पहले इमां फ़र्ज़ है।
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*सवाल :* कुछ लोग कहते है जितनी जमाअते मुसलमान कहलाने वाली है वो सब के सब हक़ पर है, किसी जमाअत को बुरा-भला नही कहना चाहिए। इनके बारे में थोड़ी रौशनी डालिए।
*जवाब :* ऐसा अक़ीदा रखने वालो को सुलह कुल्ली कहते है। इनका ये अक़ीदा हुज़ूर के इस फरमान की : *"एक जमाअत के इलावा बाक़ी मुसलमान कहलाने वाली सारी जमाअते जहन्नमी है"* के खिलाफ है।
हुज़ूर का फरमान है की 73 में सिर्फ एक जन्नती, मगर ऑयलः कुल्लियो का अक़ीदा है की "नहीं सब जन्नती" मआज़ल्लाह।
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