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Thursday 26 October 2017

*83 आसान नेकियां* # 59
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*अहले खाना पर खर्च करना*
     इस दुन्या में हर कोई अपने घर वालों के लिये कमाता और इन पर खर्च करता है, लेकिन इस मुआशी दौड़ धुप में ज़्यादा तर क़ल्बी जज़्बात कार फरमा होते है कि मेरे माँ बाप, बीवी बच्चों और भाई बहनों को खुशहाली मिले इन्हें भूक प्यास और तंगदस्ती का सामान न करना पड़े, लेकिन ये बहुत कम इस्लामी भाइयों का मामूल होगा की अगर अल्लाह की रिज़ा के लिये अपने घर वालों पर खर्च किया जाए तो इसका षवाब है, महज़ निय्यत दुरुस्त कर लेने की सूरत में आसानी से षवाब कमाया जा सकता है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जब कोई शख्स षवाब की निय्यत से अपने अहले खाना पर खर्च करता है तो वो उस के लिये सदक़ा होता है।

*_चादर ज़ौजा को देना भी सदक़ा_*
     हज़रते अम्र बिन उमय्या رضي الله عنه कहते है कि हज़रते उष्मान बिन अफ्फान या अब्दुर्रहमान बिन औफ एक ऊनी चादर को खरीदने के लिये भाव तै कर रहे थे कि मेरा वहां से गुज़र हुवा और में ने वो चादर खरीद कर अपनी बीवी सुखैला बिन्ते उबैदा رضي الله عنها को ओढ़ा दी। जब हज़रते उष्मान या अब्दुर्रहमान رضي الله عنهما का वहां से गुज़र हुवा तो उन्हों ने पूछा : तुमने जो चादर खरीदी थी उस का क्या हुवा ? में ने कहा उस में ने अपनी बीवी पर सदक़ा कर दिया है। तो उन्हों ने पूछा जो कुछ तुम अपने घर वालो पर खर्च करते हो क्या वो सदक़ा है ? में ने जवाब दिया : में ने हुज़ूर صلى الله عليه وسلم को इसी तरह फ़रमाते हुवे सुना है। जब मेरी ये बात हुज़ूर صلى الله عليه وسلم के सामने ज़िक्र की गई तो फ़रमाया : अम्र ने सच कहा है तुम जो कुछ अपने घर वालों पर खर्च करते हो वो उन पर सदक़ा ही है।
*✍🏼الترغيب والترهيب*
*✍🏼आसान नेकियां* 148

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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