بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
*सुवाल* - जान बूझ कर वाजिब तर्क किया तो क्या हुक्म है ?
*जवाब* - जान बूझ कर वाजिब तर्क किया तो सजदए सहव काफी नहीं बल्कि नमाज़ दोबारा लौटाना वाजिब है।
*सुवाल* - फर्ज तर्क हो गया तो क्या सजदए सहव से उस की तलाफ़ी हो जाएगी ?
*जवाब* - फ़र्ज़ तर्क हो जाने से नमाज़ जाती रहती है सजदए सहव से उस की तलाफ़ी नहीं हो सकती लिहाज़ा दोबारा पढ़िये।
*सवाल* - नमाज में कुरआने पाक पढ़ने से कब सजदए सहव वाजिब होता है ?
*जवाब* - कियाम के इलावा दीगर अरकान में कुरआने मजीद पढ़ने से राजदए सहव वाजिब होता है।
*✍️दिलचस्प मालूमात* 63
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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