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Tuesday 18 December 2018

वाजिबाते नमाज़ और सजदए सहब* #04

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - एक से ज़ाइद वाजिब तर्क हुवे तो कितने सजदए सहव करने होंगे ? 

     *जवाब* - नमाज़ में अगरचे दस वाजिब तर्क हुवे, सहव के दो ही सजदे सब के लिये काफ़ी हैं। 


     *सुवाल* - कादए ऊला में तशहुद के बाद अगर बे खयाली में "अल्लाहुम्म सल्ले-अला मुहम्मद" या  "अल्लाहुम्मा सल्ले-अला सैय्यदिना" कह लिया तो इस से नमाज़ पर क्या असर पड़ेगा ?

     *जवाब* - फ़र्ज़, वित्र और सुन्नते मुअक्क़दा के कादए उला में तशह्हुद के बाद अगर बे ख्याली में ऐसा हुवा तो सजदए सहव वाजिब हो जाएगा और अगर जान बूझ कर कहा तो नमाज़ लौटना वाजिब है।


     *सुवाल* - किस सूरत में नमाज़ी सलाम फेरने के बाद बा वुजूद नमाज़ से बाहर नहीं होता ?

     *जवाब* - जिस पर सजदए सहव वाजिब हो मगर सहव होना याद न हो तो इस सूरत में सलाम फेरने के बा वुजूद नमाज़ के बाहर नहीं, बशर्त ये की सजदए सहव कर ले लिहाज़ा जब तक कोई फेल मुनाफिये नमाज़ न किया हो, उसे हुक्म है कि सजदए सहव करे और तशह्हुद वगैरा पढ़ कर नमाज़ पूरी करे।

*✍️दिलचस्प मालूमात* 63

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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