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Wednesday 5 December 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #328

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*शोएब अलैहिस्सलाम को बेटी का मशवरा*

     चुकी शोएब अलैहिस्सलाम की बेटी मूसा अलैहेस्सलाम की बहादुरी को देख चुकी थी कि दस आदमियों के निकलने वाले डोल को आपने अकेले ही निकाल लिया और भारी पत्थर को अकेले ही कुंए के मुंह से हटा दिया और आपके तकवा को भी देख चुकी थी क्योंकि उनसे सवाल करने में आपकी निगाहें नीची थी और उसके साथ चलते हुए भी यही कहा कि तुम पीछे पीछे चलो। मैं आगे चलंता हूं तूम मुझे पीछे से राह बताती आना। इसकी वजह भी यही थी कि अगर मैं पीछे चला तो मेरी निगाह उस पर पड़ेगी। 

     ख्याल रहे कि यह सब कुछ अल्लाह तआला की तरफ से वही के ज़रिये हो रहा था यह कहना कि शोएब अलैहिस्सलाम ने अपनी जवान बेटी को अकेले ही एक अजनबी को बुलाने के लिये भेज दिया था दुरुस्त नही। 

     अल्लामा राज़ी फ़रमाते हैं शोएब अलैहिस्सलाम को वहीं के ज़रिये अल्लाह तआला की तरफ से हुक्म हुआ कि आप अपनी बेटी को भेजकर उस शख्स को बुलायें आपकी बेटी पाक दामन, तमाम उयूब से पाक और एतेमाद है और जिसको बुलाने के लिये जा रही है वह भी तो मेंरा प्यारा साहबे कमाल नबी है। शोएब अलैहिस्सल ने मूसा अलैहिस्सलाम के दो कमाल ज़िक्र किये कुव्वत और अमानत। यानी आप कवि (बहादुर) और अमीन (साहबे तक़वा) हैं। हालांकि दो और वस्फ़ जब तक न पाए जायें उस वक्त तक इंसान कामिल इंसान नहीं होता। वह हैं फ़तानत और ज़ीरक होना। लेकिन यह दोनों वस्फ अमानत में मौजूद हैं क्योंकि कामिल अमानत इंसान में फतानत और अक्लमंदी के बगैर नहीं पाई जा सकती। 

     सुहानल्लाह शोएब अलैहिस्सलाम की बेटी का इंतेख़ाब क्या खूब था? कि बहादुर होना जो काफिरों के साथ जंग भी कर सके और सहबे तकवा अकलमद और समझदार होना ही ईसन को इंसान बनाता हैं। और फिर यह इंतेखाब भी मश्वरा की हद तक था। अर्ज बाप से ही किया क्योंकि आप जानत थीं कि हमारे बाप ने अपनी शरीअत के मुताबिक किसी शख्स को अपने पास रख कर उससे बतौर महर  खिदमत लेकर हमारा निकाह उससे करना है। 

     आज की लड़कियां इससे सबक हासिल करे जो वालीदैन की मर्जी के बगैर सब्ज़ बाग देखाने वाले लड़कों को पसंद करके वालीदैन को उम्र भर का रोग लगकर अज़ खुद ही उनके पास चली जाती हैं लेकिन ऐशी लडकिया सौं फिसद नाकाम रहती है, चंद दिनों के बाद उन्हें ज़ील्लत के बगैर कुछ भी हासिल नहीं होता।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 268

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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