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Thursday 6 December 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #329


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*शोएब अलैहिस्सलाम को मुसा अलैहिस्सलाम को शादी की पेशकश* 

     शोएब अलैहिस्सलाम का कोई बेटा नहीं था इसलिये आप मूसा अलैहिस्सलाम को अपने साथ रखना चाहते थे लिहाजा आपने मुनासिब समझा कि एक बेटी का निकाह इस नेक शख्स से कर दिया जाये। आप अलैहिस्सलाम ने उनसे मश्वरा लिया कि अगर तुम्हारा निकाह इन दो बेटियों में से एक से कर दिया जाये तो क्या तुम महर के बदले आठ साल तक हमारी खिदमत कर सकोगे? यानी आठ साल तो तुम पर वाजिब होंगे मजीद दो साल खिदमत करना मुस्तहब होगा वह तुम्हारी मर्जी पर मुनहसिर होगा। मूसा अलैहिस्सल ने इसे क़बूल कर लिया अर्ज़ किया कि इन दो मुद्दतो में से जो भी मैं पूरी करलू मुझे यहां रहने पर मजबूर न किया जाये। इस तरह दोनों को दर्मियान मुआहिदा तय हो जाने के बाद निकाह हो गया और मूसा अलैहिस्सलाम ने महर अदा करने के लिये आपके घर बहैसियत दामाद खिदमत करनी शुरू कर दी। शोएब अलैहिसलाम ने मूसा अलैहिस्सलाम को बकरियां हांकने और उन्हें दरख्तों के पत्ते झाड़कर खिलाने के लिये एक असा दिया जो सागवन के दरख्त की लकड़ी का बना हुआ था जो आदम अलैहिस्सलाम साथ लाए थे और फिर अंबियाए कीराम से मुन्तकिल होता हुआ शोएब अलैहिस्सलाम तक पहुंचा था। अब मूसा अलैहिस्सलाम के पास आ गया यही असा बाद में अपका मोजिज़ा बन गया। 

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 279

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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