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Sunday 9 December 2018

सूरए फ़लक़ और सूरए नास के फ़ज़ाइल*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रते उक़बा बिन आमिर رضي الله عنه से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ के साथ जुहफा और अब्वा (दो मक़ामात) के दरमियान से गुज़र रहे थे कि हमें शदीद आंधी और तारीकी ने घेर लिया तो रसूलुल्लाह ﷺ ने सूरए फ़लक़ और सूरए नास के ज़रीए पनाह मांगना शुरू की और मुझ से फ़रमाया : ऐ उक़बा! इन दोनों के जरीए पनाह मांगा करो किसी पनाह चाहने वाले ने इस की मिस्ल किसी चीज़ के वसीले से पनाह नहीं मांगी। 


     उम्मुल मुअमिनीन हज़रते आदशा رضي الله عنها से रिवायत है कि जब रसूलुल्लाह ﷺ आराम फरमाने के लिये बिस्तर पर तशरीफ़ लाते तो दोनों हाथों को जोड़ कर सूरए इखलास, फलक़ और नास पढ़ कर दम करते और बदने अक्दस के जिस हिस्से तक हाथ पहुंचते वहां हाथ फैरते मगर हाथ फैरने की इब्तिदा सर और चेहरे से होती और जिस्मे अक्दस के अगले हिस्से से और इसी तरह तीन मर्तबा येह अमल करते थे। 


     हज़रते अब्दुल्लाह बिन हबीब رضي الله عنه से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने उन से फ़रमाया सूरए फ़लक़ और सूरए नास रोज़ाना तीन तीन मर्तबा सुब्ह व शाम पढ़ लिया करो येह तुम्हारे लिये हर चीज़ से किफ़ायत करेंगी।

*✍️मदनी पंजसुरह* 126

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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