*अहकामे रोज़ा* #05
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_रोज़े की जज़ा_*
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : आदमी के हर नेक काम का बदला दस से सात सौ गुना तक दिया जाता है। अल्लाह ने फ़रमाया : सिवाए रोज़े के की रोज़ा मेरे लिये है और इस की जज़ा में खुद दूंगा। अल्लाह का मज़ीद इर्शाद है, बन्दा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। रोज़ादार के लिये दो खुशियां है। एक इफ्तार के वक़्त और एक अपने रब से मुलाक़ात के वक़्त। रोज़ादार में मुह की बू अल्लाह के नज़दीक मुश्क से ज़्यादा पाकीज़ा है।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 580, हदिष:1151*
*_रोज़े का खुसूसी इनआम_*
बयान करदा हदिष में रोज़े की कई खुसुसिय्यात इर्शाद फ़रमाई गई है। कितनी प्यारी बशारत है उस रोज़ादार के लिये जिस ने इस तरह रोजा रखा जिस तरह रोज़ा रखने का हक़ है। यानी खाने पीने और जीमाअ से बचने के साथ साथ अपने तमाम आज़ा को भी गुनाहो से बाज़ रखा तो वो रोज़ा अल्लाह के फज़्लो करम से उस के लिये तमाम पिछले गुनाह का कफ़्फ़ारा हो गया।
और हदिष का ये फरमान रोज़ा मेरे लिये है और इस की जज़ा में खुद ही दूंगा। इस इर्शाद को मुहद्दिसिने किराम ने भी पढ़ा है जैसा की तफ़सीरे नईमी वगैरा में है "रोज़े की जज़ा में खुद ही हु।" यानी रोज़ा रख कर रोज़ादार बी ज़ाते खुद अल्लाह तआला ही को पा लेता है।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान,103*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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