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Thursday 17 May 2018

*सेहरी का नायाब तोहफा*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

    हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया जो कोई इस दुआ को *सहरी के वक़्त 7 मर्तबा* पढ़ेगा अल्लाह  हर सीतारे के बदले ऊसे एक हज़ार नेकियां अता फ़रमाएगा, इतने ही गून्ह मिटाएगा और उसी क्द्र उस के दरजात बूलंब फरमाएगा
لٙآاِلٰهٙ اِلّٙااللّٰهُ الْحٙـيُّ الْقٙـيُّوْمُ القٓاىِٔمُ عٙلٰى كُلِّ نٙفْسِ بِمٙا كٙسٙبٙتٙ.
     *तर्जमा* : अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही वो ज़िन्दा है हमेशा बाक़ी रहेगा और क़ायम है हर नफ़्स पर जो तुम छुपाते हो।

*रोज़े की निय्यत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
نٙـوٙيـتُ اٙنْ اٙصُـوْ مٙ غٙـدًالِلّٰهِ تٙـعٙـالىٰ مِـنْ فٙـرْضِ رٙمٙـضٙانْ
     *तर्जमा* : में ने निय्यत की कि अल्लाह के लिये इस रमज़ान का फ़र्ज़ रोज़ा कल रखूंगा।

*अगर दिन में निय्यत करे तो यु कहे*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
نٙـوٙيـتُ اٙنْ اٙصُـوْ مٙ هٰـذا الْـيٙـوْمٙ لِلّٰهِ تٙـعٙـالىٰ مِـنْ فٙـرْضِ رٙمٙـضٙانْ
     *तर्जमा* : में ने निय्यत की कि अल्लाह के लिये इस रमज़ान का फ़र्ज़ रोज़ा रखूंगा।

     *नोट :* जिन्हें अरबी न आती हो वो तर्जमा पढ़ के निय्यत करले।

*रमज़ान की बरक़त :*
     इफ्तार और सहरी के वक़्त दुआ क़बूल होती है। यानि *इफ्तार करते वक़्त* और *सहरी खा कर*।
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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