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Monday 17 December 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-23, आयत, ①⑧⑤*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

रमज़ान का महीना जिसमें क़ुरआन उतारा  (8) लोगो के लिये हिदायत और राहनुमाई और फैसला की रौशन बातें, तो तुम में जो कोई यह महीना पाए ज़रूर इसके रोज़े रखे और जो बीमार या सफर में हो तो उतने रोज़े और दिनों में अल्लाह तुमपर आसानी चाहता है और तुमपर दुशवारी नहीं चाहता और इसलिये कि तुम गिनती पूरी करो (9) और अल्लाह की बड़ाई बोलो इसपर की उसने तुम्हें हिदायत की और कहीं तुम हक़ गुज़ार हो (यानि कृतज्ञ)


*तफ़सीर*

     (8) इसके मानी में तफ़सीर करने वालों के चन्द अक़वाल हैं : (1) यह कि रमज़ान वह है जिसकी शान व शराफ़त में क़ुरआने पाक उतरा (2) यह कि क़ुरआने करीम के नाज़िल होने की शुरूआत रमज़ान में हुई. (3) यह कि क़ुरआन करीम पूरा रमज़ाने मुबारक की शबे क़द्र में लौहे मेहफ़ूज़ से दुनिया के आसमान की तरफ़ उतारा गया और बैतुल इज़्ज़त में रहा. यह उसी आसमान पर एक मक़ाम है. यहाँ से समय समय पर अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक़ थोड़ा थोड़ा जिब्रीले अमीन लाते रहे. यह नुज़ूल तेईस साल में पूरा हुआ.

      (9) हदीस में है, हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि महीना उनतीस दिन का भी होता है तो चाँद देखकर खोलो. अगर उनतीस रमज़ान को चाँद न दिखाई दे तो तीस दिन की गिनती पूरी करो.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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