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Monday 17 December 2018

फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा* #28

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*हया रूह की पाक दामनी का नाम है* 

     कल की पोस्ट में ज़िक्र की गई हदीस शरीफ के तहत हजरते अल्लाम मुहम्मद अब्दुरऊफ़ मुनावी رحمة الله عليه पहले 9 अख्लाक के मुतअल्लिक फ़रमाते हैं : "येह ज़ाहिरी मकारिमे अख़लाक़ हैं जो बातिनी मकारीमे अख़लाक़ से पैदा होते हैं (मजीद फ़रमाते हैं) इन सब की अस्ल हया (इस लिये) है कि यह रूह की पाक दामनी का नाम है। मज़ीद फ़रमाते हैं जिस को इन अखलाक में से जो खुल्क दिया गया वह उस को पाक करने वाला है और वह इस एक के ज़रीए सआदत पा लेता है तो जिस में येह तमाम मुकारिमे अख़्लाक जम्अ हों उस की सआदत मन्दी का आलम क्या होगा। और फ़रमाते हैं : "अख़्लाके हसना (इन के इलावा भी) बहुत सारे हैं और हर खुल्के हसन अल्लाह के अख़्लाक में से हैं और अल्लाह ने अपने अख़्लाक से मुज़य्यन होने को पसन्द फ़रमाया है पस अख़्लाके हसना  में से जिस बन्दे को जो खुल्क भी दिया गया वोह उस के लिये दारैन में शरफो फजीलत और बुलन्दी पाने का सबब है। 


*हुस्ने अख़्लाक़ की अस्ल* 

     उम्मुल मुअमिनीन हुज़रते आइशा सिद्दीका رضي الله عنها इर्शाद फ़रमती हैं : मकारिमे अख़्लाक की अस्ल “हया" हैं। 

*✍️फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा* 68

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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