*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #05
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*माहे रमज़ान में मदनी फूल* #01
काबाए मुअज़्ज़मा मुसलमानो को बुलाकर देता है और रमज़ान आ कर रहमते बाटता है। गोया काबा कुवा है और रमज़ान दरया, या काबा दरया है और रमज़ान बारिश।
हर महीने में ख़ास तारीखे और तारीखों में भी ख़ास वक़्त में इबादत होती है। मसलन बकरी ईद की चन्द मख़्सूस तारीखे में हज, मुहर्रम की 10वी तारीख अफज़ल, मगर माहे रमज़ान में हर दिन और हर वक़्त इबादत होती है।
रोज़ा इबादत, इफ्तार इबादत, इफ्तार के बाद तरावीह का इन्तिज़ार करना इबादत, तरावीह पढ़ कर सहरी के इंतज़ार में सोना इबादत, फिर सहरी खाना भी इबादत अल गरज हर आन में खुदा की शान नज़र आती है।
रमज़ान एक भट्टी है जेसे की भट्टी गन्दे लोहे को साफ़ और साफ़ लोहे को मशीन का पुर्ज़ा बना कर क़ीमती कर देती है और सोने को ज़ेवर बना कर इस्तेमाल के लायक कर देती है। ऐसे ही माहे रमज़ान गुनाहगारो को पाक करता और नेक लोगो के दर्जे बढ़ाता है।
*✍🏽तफ़सीरे नईमी, 2/208*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 17*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Friday 27 April 2018
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