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Wednesday 25 April 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #122
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*इब्राहिम عليه السلام की औलाद के लिये दुआ*
     इलाही मुझे लायक़ औलाद दे। अल्लाह ने आप عليه السلام की इस दुआ को शरफ़ क़बूलियत बख्शते हुए इर्शाद फ़रमाया: तो हमने उसे खुशखबरी सुनाई एक बुर्दबार लड़के की।
     इस बशारत से मुराद हज़रत इस्माइल عليه السلام की विलादत की बशारत है क्योंकि अल्लामा आलुसी, हलीम की तफ़सीर करते हुए फ़रमाते है: यानी आपको बशारत दी गई कि आपको एक बेटा अता किया जायेगा जो हलीम होगा।
     इससे बढ़कर हिल्म की और क्या मिसाल मिलेगी जब आप बलुग के क़रीब थे टोनापके वालिद ने आपको कहा में तुम्हे ख्वाब में ज़िबह करते हुए अपने आपको देख रहा हूँ इस में तुम्हारी क्या राय है? तो आप ने अर्ज़ किया कि आप मुझे ان شاء الله साबिरों में से पाओगे।

*इस्माइल عليه السلام के बाद इस्हाक़ عليه السلام की बशारत*
     तो हमने उसे (हज़रत सारा) इस्हाक़ की खुशखबरी और इस्हाक़ के पीछे याक़ूब की।
     हज़रत सारा को बशारत देने की वजह यह थी की औलाद की ख़ुशी औरतों को बनिस्बत मर्दों के ज़्यादा होती है। और दूसरी वजह यह थी, की हज़रत सारा की औलाद नहीं थी इसलिये ज़्यादा ख़ुशी उनको ही हासिल हुई थी क्योंकि हज़रत इब्राहिम عليه السلام के फ़रज़न्द इस्माइल पहले पैदा हो चुके थे।
     हज़रत याक़ूब عليه السلام की बशारत देने से इस तरफ इशारा था कि सारा की उम्र इतनी बड़ी होगी कि यह अपने बेटे इस्हाक़ के बेटे याक़ूब को भी देखेंगी।
     हज़रत सारा की उम्र उस वक़्त 90 साल थी, और हज़रत इब्राहिम عليه السلام की 120 साल थी, इसलिये हज़रत सारा ने तअज्जुब करते हुए कहा था: अजीब बात है कि मेरा बच्चा पैदा होगा, जब की में बूढी हु और मेरे शौहर बूढ़े है बेशक यह तो बहुत ही तअज्जुबनाक बात है।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 100
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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