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Thursday 26 April 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #123
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*इस्हाक़ عليه السلام छोटे और इस्माइल عليه السلام बड़े*
     इस्हाक़ عليه السلام की बशारत देने के एक साल बाद अल्लाह ने उन्हें पैदा फरमा दिया और इस्माइल عليه السلام की पैदाइश के चौदह साल बाद इस्हाक़ عليه السلام की पैदाइश हुई यानी उनकी पैदाइश के 13 साल बाद इस्हाक़ عليه السلام की बशारत दी गई।
     हज़रत इस्माइल, इस्हाक़, याक़ूब عليه السلام नबी हुए। अल्लाह फ़रमाता है: और हमने उसे (इब्राहिम عليه السلام को) इस्हाक़ और याक़ूब अता किये और हर एक को ग़ैब की खबरे बताने वाला (नबी) किया।
     इसमें इशारा है की हज़रत इब्राहिम عليه السلام की उम्र शरीफ इतनी लंबी हुई की आप ने अपने पोते हज़रत याक़ूब عليه السلام को देखा और इस आयत से यह भी समझ आता है की अल्लाह के लिये हिजरत करने और अपने घर बार को छोड़ने की यह जज़ा मिली की अल्लाह ने आपको बेटे, पोते और माल व दौलत से नवाज़।
     फ़रमाया: इस्माइल ने को वादा भी किया उसे ज़रूर पूरा किया।
     एक मर्तबा आप और आपका एक साथी कहीं जा रहे थे तो शहर के क़रीब पहुंच कर आपके साथी ने कहा यहाँ में बैठता हूँ और तुम शहर जाकर खाना खरीद कर लाओ या तुम बेठो में लाता हूँ, आपने फ़रमाया में यहाँ तुम्हारा इंतज़ार करूँगा तुम ही चले जाओ। वह गया और भूल गया, तीन दिनों के बाद इसे याद आया, बाज़ रिवायत में है कि एक साल के बाद वहाँ लौटा तो इस्माइल عليه السلام वहां ही मौजूद थे। उसने तअज्जुब से पूछा तुम अभी यहाँ ही हो, आपने फ़रमाया हाँ वादा के मुताबिक़ मुन्तज़िर तो रहना ही था।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 101
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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