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Saturday 5 May 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #129
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*तीन दिन इब्राहिम عليه السلام का ख्वाब देखना*
     ज़िल हिज्जा के सात दिन गुज़र जाने पर रात को ख्वाब देखा कि कोई कहने वाला कह रहा है बेशक अल्लाह तुम्हें बेटा ज़िबह करने का हुक्म देता है, आपने सुबह इस पर तफ़क्कुर किया और कुछ तरद्दुद में रहे कि क्या यह अल्लाह का ही हुक्म है? या ख्वाब फ़क़त ख्याल तो नहीं। इसी वजह से 8 ज़िल हिज्जा का नाम यौमुल तरविया (सोच विचार का दिन) रखा गया। 8 तारीख का दिन गुज़र जाने पर रात फिर ख्वाब देखा सुबह यक़ीन कर लिया की यह अल्लाह का ही हुक्म है। इसी वजह से 9 ज़िल हिज्जा को यौमे अरफा (पहचानने का दिन) कहा जाता है। इसके बाद आने वाली रात को फिर ख्वाब देखने पर सुबह उस पर अमल करने का पक्का इरादा कर लेने पर ही 10 ज़िल हिज्जा को यौमुल नहर (ज़िबह का दिन) कहा जाता है।

*सिर्फ ख्वाब देखने से ज़िबह पर अमल क्यों?*
     बेशक अल्लाह ने अम्बियाए किराम के ख्वाबों को हक़ बयान यानी उनके ख्वाबात सच होते है इनको अपने ख्वाबों पर अमल करना लाज़िम है।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 104
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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