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Saturday 12 May 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #140
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*खाना काबा की तारीख* #07

*मक़ामे इब्राहिम पर हज़रत इब्राहिम عليه السلام तीन मर्तबा खड़े हुए*
     (1) आप عليه السلام जब कई साल गुज़रने के बाद इस्माइल عليه السلام को मिलने के लिये आये तो अल्लाह की मंशा के मुताबिक़ हज़रत सारा से वादा करके आये की अपने बेटे को देखकर और मुलाक़ात करके वापस आ जाऊंगा। सवारी से नहीं उतरूंगा, आप जब मक्का में आए तो हज़रत इस्माइल عليه السلام तो शिकार करने के लिये गए हुए थे, बहू से मुलाक़ात हुई उससे गुज़र औक़ात के मुतअल्लिक़ पूछा, उसने कहा अच्छा गुज़र नहीं, तंगदस्ती है, सिर्फ शिकार पर गुज़र औक़ात हो रहा है।
     आप عليه السلام ने वापस चलते हुए कहा: अपने खाविन्द को मेरा सलाम कहना और कहना कि तुम्हारे घर की चौखट अच्छी नहीं इसे बदल लो।
     हज़रत इस्माइल عليه السلام जब घर आए तो खुद ही पूछा की कोई बुज़ुर्ग तो नहीं आये थे? तो आपकी ज़ौजा ने कहा की आए थे और सलाम कहकर गये है और एक पैगाम देखरेख गए है। जब पैगाम की उसने तफ़सील बयान की तो आपने अपनी ज़ौजा को फारिग कर दिया, की वह तुम्हे फारिग कर देने का हुक्म दे गये है।
     वजह यह थी की उसने रब की नाशुक्री की थी, नबी की ज़ौजा की शान के यह लायक़ नहीं की वह कम रोज़ी पर शिकायत करे, बल्कि साबिर रहे।
     हज़रत इब्राहिम عليه السلام दोबारा फिर इस्माइल عليه السلام को मिलने के लिये आये उस वक़्त भी इस्माइल عليه السلام घर पर मौजूद न थे आपकी मुलाक़ात बहु से हुई, (यह इस्माइल عليه السلام की दूसरी शादी थी) उससे घर के हालात पूछे उसने कहा: अल्लाह का शुक्र है कि अच्छा वक़्त गुज़र रहा है ज़मज़म के पानी पर हमारा क़ब्ज़ा है मेरे खाविन्द शिकार करके ले आते है।
     इब्राहिम عليه السلام जब वापस जाने लगे तो आपकी बहु ने इसरार किया की आप हमारे घर रुके, लेकिन आपने कहा मुझे सवारी से उतरकर ज़मीन पर आने की इजाज़त नहीं। तो आपकी बहु ने कहा की आप अपने पांव इस पथ्थर पर रखे ताकि में इनको धो लूँ, आपने जिस पथ्थर पर पांव रखे वह मक़ामे इब्राहिम ही था।
     आपने वापस चलते हुए इस्माइल عليه السلام के लिये सलाम कहा और पैगाम दिया की घर की चौखट अच्छी है इसे मज़बूत रखना।
     (2) तामिरे काबा के वक़्त आप उस पर  खड़े हुए थे वह नर्म हो जाता था, ताकि आपके पांव मुबारक को सख्ती की वजह से तकलीफ न हो, इसी वजह से आप के क़दमो के निशानात इसमें पड़ गए। आप जब बुलन्द होना चाहते थे तो पथ्थर खुद बी खुद ऊपर उठ जाता था, जब निचे आना चाहते थे तो निचे हो जाता था।
     (3) काबा शरीफ की तामीर के बाद आप عليه السلام ने उसी पथ्थर पर खड़े होकर जबल अबू क़बीस पर से लोगों को हज की दावत दी।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 112
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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