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Monday 14 May 2018

*हज़रत हुजैफा रदिअल्लाहो तआला अन्हो की महब्बत और फिदाइय्यत:* # 32
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     
      और इस दौरान में एक रात आंधी इस कदर शिद्दत से आई कि न इससे पहले कभी आई न इस के बाद। अंधेरा इस क़दर ज़ियादा कि आदमी को पास वाला आदमी तो क्या अपना हाथ भी नज़र नहीं आता था और हवा इतनी सख़्त कि उसका शोर बिजली की तरह गरज रहा था।  
      मुनाफिकीन अपने घरों को लौट रहे थे। हम तीन सौ का मज्मअ उसी जगह था। हुजूर अक़दस ﷺ एक एक का हाल दरयाफ्त फरमा रहे थे, और इस अंधेरे में हर तरफ तहकीकात फ़रमा रहे थे, इतने में मेरे पास से हुज़ूर ﷺ का गुज़र हुवा, मेरे पास न तो दुश्मन से बचाव के वास्ते कोई हथियार था न सर्दी से बचाव के लिये कोई कपड़ा, सिर्फ एक छोटी सी चादर थी, जो ओढ़ने में घुटनों तक आती थी और वोह भी मेरी नहीं थी, अहलिया की थी, उसको ओढ़े घुटनों के बल ज़मीन से चिमटा हुवा बैठा था।
     हुज़ूर ﷺ ने दरयाफ्त फ़रमाया: कौन है? मैं ने अर्ज़ किया हुजैफा, मगर मुझसे सर्दी के मारे उठा भी न गया और शर्म के मारे ज़मीन से चिमट गया। हुज़ूर ﷺ  ने इर्शाद फ़रमाया की उठ खड़ा हो, और दुश्मनों के जथ्थे में जा कर उनकी खबर ला, क्या हो रहा है? मैं उस वक्त घबराहट और खौफ और सर्दी की वजह से सब से ज़ियादा खस्ता हाल था, मगर ता'मिले इर्शाद में उठ कर फ़ौरन चल दिया, जब मैं जाने लगा तो हुज़ूरﷺ ने दुआ दी:  अल्लाह तू इस की हिफाज़त फरमा सामने से और पीछे से, दाएं से और बाएं से, ऊपर से और नीचे से।
       हुजैफा रदिअल्लाहो तआला अन्हो कहते है कि हुज़ूर ﷺ का ये इर्शाद फरमान था कि गोया मुझ से खौफ, सर्दी बिल्कुल जाती रही और हर हर कदम पर मा'लूम हो रहा था कि गोया गर्मी में चल रहा हूं।   
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 103,104
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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