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Sunday 17 September 2017

*मुहर्रम कैसे मनाये*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ताजिया के बारे में गलत फहमी_* #01
     आज कल जो ताजिया बनाते है उसमे पहली बात ये की वो हज़रत इमाम हुसैन के रोज़ा मुबारक की तरह नहीं होता। अजब कज़ब तरीके के ताजिये बनाये जाते है। और फिर उसे गुमाते हे गस्त लगाते है। एक दुसरो से मुकाबला करते है और ऐसे मुकाबले में कभी कभी जगडे फसाद भी हो जाते है। और ये सब इमाम हुसैन की मुहब्बत के नाम पर होता है।

     अफ़सोस! ये मुसलमानो को क्या हो गया है? वो कहा से चला था और कहा पहोच गया? कोई समजाये तो मानने के लिए राज़ी नहीं, बल्के समजाने वाले को ही भला बुरा कहते है।

     मतलब के अभी के वक़्त में जो ताजिया और उसके साथ होने वाली सब बिदअते और बुराइया और वाहियात बाते सब नाजाइज़ और गुनाह है।

    जेसे के मातम करना, ताजिया पे चढ़ावा चढ़ाना, उसके सामने खाना रख के वहा फातिहा चढ़ाना, उनसे मन्नते मुरादे मांगना, उनके निचे से बच्चों को निकालना, ताजिया देखने जाना, उसको जुक जुक कर सलाम करना, सवारिया निकलना ये सब जाहिलाना और नाजाइज़ बाते है। इसे इस्लाम के साथ कोई वास्ता नहीं। और जो लोग इस्लाम को अच्छे से जानते है उनका दिल खुद ही कहेगा के इस्लाम जिस सीधा और शराफत वाला मज़हब ये तमाशा और वहेम परस्ती भरी बातोंको कैसे कबुल कर शकता है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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