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Monday 26 February 2018

*बेनज़ीर ज़ियाफत* #27

*बेनज़ीर ज़ियाफत*  #27
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

      एक मरतबा हज़रते उषमाने गनी रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने हुजूर ﷺ की ज़ियाफत की और अर्ज़ किया: या रसूलुल्लाह ﷺ ! मेरे ग़रीब खाने पर अपने दोस्तों समेत तशरीफ़ लाए और मा हज़र तनावुल फ़रमाए। हुजूर ﷺ ने यह दावत कबूल फ़रमा ली और वक्त पर मअ सहाबए किराम अलैहिमु रीज़वान के हज़रत उषमाने ग़नी के घर तशरीफ़ ले चले, हज़रते उषमान रदिअल्लाहो तआला अन्हो हुज़ूर ﷺ के पीछे चलने लगे और हुज़ूर ﷺ का एक एक कदम मुबारक जो उनके घर की तरफ चलते हुवे ज़मीन पर पड़ रहा था गिनने लगे।
      हुज़ूर ﷺ ने दरयाफ्त फ़रमाया: ऐ उषमान! यह मेरे कदम क्यूं गिन रहे हो ? हज़रते उषमान रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने अर्ज़ किया: या रसूलुल्लाह  ﷺ मेरे मां बाप आप पर कुरबान हो, मैं चाहता हूं कि हुज़ूर ﷺ के एक एक कदम के इवज़ मैं आप ﷺ की ताज़ीम व तौक़ीर की खातिर एक एक गुलाम आज़ाद करुं।
      चुनान्चे हज़रते उषमाने ग़नी रदिअल्लाहो तआला अन्हो के घर तक हुज़ूर ﷺ के जिस क़दर क़दम पड़े उसी क़दर गुलाम हज़रते उषमान रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने आज़ाद किये।    
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 53
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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