*मंगनी असल मे निकाह का वादा है! अगर यह न भी हो तो तब भी कोई हर्ज नही! लिहाजा बेहतर तो यही है के मंगनी की रस्म (Engagement) के नाम पर होनेवाली कुरापात को बिल्कुल ही खत्म कर दीया जाए, उसकी कोई जरुरत नही है! आजकल उसे एक जरुरी रस्म बना लिया गया है!और उसे शादी की तरह निभाते है, शादी की तरह उसमे खर्च करते है! इस रस्म मे रुपयो की बरबादी के सिवा कुछ नही! लिहाजा इस रिवाज को छोडना ही बेहतर है!*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, गर होजाये यक़ीन के.. अल्लाह सबसे बड़ा है..अल्लाह देख रहा है..
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