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Thursday 15 February 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #55

*तज़किरतुल अम्बिया* #55
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम عليه السلام के दो बेटों का झगड़ा*
     हज़रत आदम عليه السلام की सुल्बी औलाद से क़ाबिल और हाबिल थे। क़ाबिल बड़ा था हाबिल छोटा था। क़ाबिल खेती बाड़ी करता था और हाबिल बकरियां चराता था। क़ाबिल के साथ पैदा होनेवाली लड़की का नाम अक़्लीमा था जो बहुत ज़्यादा हसीन व जमील थी और हाबिल के साथ पैदा होने वाली लड़की लिब्वा खूबसूरती में कुछ कम थी हज़रत आदम عليه السلام की शरीयत के क़ानून के मुताबिक़ क़ाबिल के साथ पैदा होने वाली लड़की का निकाह हाबिल से और हाबिल के साथ पैदा होने वाली लड़की का निकाह क़ाबिल से होना था, लेकिन क़ाबिल ने ऐसा करने से इंकार कर दिया उसने कहा कि मेरे साथ पैदा होने वाली लड़की का निकाह ही मेरे साथ होगा।
     जब क़ाबिल ने ज़िद और हठधर्मी शुरू कर दी तो हज़रत आदम عليه السلام ने कहा कि तुम दोनों अल्लाह की राह में कोई चीज़ पेश करो, जो सच्चा होगा उसकी न्याज़ व सदक़ा क़बूल हो जायेगा। उस वक़्त क़बूलियत की यह अलामत थी कि जिसका सदक़ा क़बूल हो जाता उसे क़ुदरती तौर पर आने वाली आग खा जाती।
     क़ाबिल ने एक अम्बार गंदुम और हाबिल ने एक बकरी या एक दुम्बा रब की राह में पेश किया दोनों ने यह कह कर न्याज़ पेश की कि ऐ अल्लाह जो अक़्लीमा का ज़्यादा हक़दार है उसकी क़ुरबानी क़बूल फरमा।
     आसमानी आग ने हाबिल के सदके को खाकर क़बूलियत बख्श दी और क़ाबिल के सदक़ा को आग ने न खा कर रद्द कर दिया।
     क़ाबिल के दिल में हसद, बुग्ज़ भड़क उठा उसने हाबिल को क़त्ल करने की धमकी दे दी। अल्लाह ने इस वाक़ीए को इस तरह ज़िक्र फ़रमाया: "और इन्हें पढ़कर सुनाओ आदम के बेटों की सच्ची खबर जब दोनों ने एक एक न्याज़ पेश की तो एक की क़बूल हुई, बोला क़सम है में तुझे क़त्ल कर दूंगा। हाबिल ने कहा अल्लाह उसी से क़बूल करता है जिसे डर है बेशक अगर तु अपना हाथ मुझ पर बढ़ायेगा कि मुझे क़त्ल करे तो में अपना हाथ तुझ पर न बढ़ाऊंगा कि तुझे क़त्ल करू। में अल्लाह से डरता हूँ जो मालिक है सारे जहान का, में तो यह चाहता हु कि मेरा और तेरा गुनाह दोनों तेरे ही पल्ले पड़ें तू दोज़खी हो जाए और बे इंसाफ़ो की यही सज़ा है।"
     इस वाक़ीए को ज़िक्र करने का यह मतलब था कि हसद की बुराई मालुम हो और नबीए करीम से हसद करने वालों को सबक़ हासिल हो और क़यामत तक लोग हसद को बुरा समझें।
     हाबिल हक़ पर थे उनके तक़्वा के पेशे नज़र उनका सदक़ा क़बूल हो गया उन्होंने कहा में चाहता हूँ मेरा और तुम्हारा गुनाह तुम्हारे ही पल्ले पड़े, इसका मक़सद यह था कि तुम ने अपने बाप की नाफ़रमानी की वह गुनाह भी तुम्हारे ज़िम्मे है और अगर तुझे क़त्ल करना चाहो तो कर लो, मेरे क़त्ल का गुनाह भी तुम्हारे ज़िम्मे ही होगा।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 59
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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