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Wednesday 11 April 2018

*शबे में'राज के मुशाहदात* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*ज़बरजद और याकूत के ख़ैमे*
     जन्नत की हसीनो जमील और प्यारी वादियों की सैर फ़रमाते हुवे प्यारे आक़ा ﷺ एक नहर पर तशरीफ़ लाए जिसे बैज़ख़् कहा जाता है। उस पर मोतियों, सब्ज़ ज़बरजद और सुर्ख याक़ूत के ख़ैमे थे। इतने में एक आवाज़ आई: अस्सलामु अलैक या रसूलल्लाह।
     आप ﷺ ने जिब्राइल से दरयाफ़्त फ़रमाया ये कैसी आवाज़ है? अर्ज़ किया: ये ख़ैमों में पर्दा नशीन हूरें है, इन्होंने रब से आप को सलाम कहने की इजाज़त तलब की थी और रब ने इन्हें इजाज़त अता फरमा दी। फिर वो हूरें कहने लगी: हम खुश रहने वालियां है कभी ना-गवारी व नफरत का बाइस न होंगी और हम हमेशा रहने वालियां है कभी फना न होंगी।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 79
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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