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Tuesday 3 April 2018

*मेराज शरीफ के हवाले से मुफीद मालूमात* #06
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*दीगर अम्बियाए किराम भी बुराक़ पर सुवार हुवे?*
     अगर्चे दीगर अम्बियाए किराम ने भी बुराक़ पर सुवारी फ़रमाई है जैसा कि मरवी है कि हज़रते इब्राहिम عليه السلام मक्का में अपने सहजादे हज़रत इस्माइल عليه السلام से मुलाक़ात  फरमाने के लिये बुराक़ पर सुवार हो कर तशरीफ़ लाते थे। ताहम इस में भी आप ﷺ की खुसुसिय्यत के पहलू मौजूद है।
     हज़रत अल्लामा नूरुद्दीन अली बिन इब्राहिम رحمة الله عليه फ़रमाते है: हुज़ूर ﷺ के इस पर सुवारी के वक़्त बुराक़ जहाँ तक नज़र पहुँचती वहां अपना क़दम रखता था जब कि पहले के अम्बियाए किराम जब इस पर सुवार हुवे उस वक़्त इस की ये रफ़्तार नहीं थी।
     एक रिवायत के मुताबिक़ हशर में सिर्फ प्यारे आक़ा ﷺ बुराक़ की सुवारी फरमाएंगे। मरवी है कि एक दफा हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: हज़रते सालेह عليه السلام के लिये नाक़ए समुद (इससे मुराद वो ऊंटनी है जो सालेह عليه السلام की दुआ से बतौरे मोजिज़ा एक पथ्थर से पैदा हुई थी) उठाया जाएगा, वो अपनी क़ब्र से उस पर सुवार हो कर मैदाने हशर में आएँगे। इस पर मुआज़ बिन जबल رضي الله عنه अर्ज़ गुज़ार हुवे: या रसूलल्लाह ﷺ आप अपनी मुक़द्दस ऊंटनी पर सुवार होंगे? फ़रमाया: नहीं, इस पर तो मेरी साहिब ज़ादी सुवार होगी और में बुराक़ पर तशरीफ़ रखूंगा कि उस रोज़ सब अम्बियाए किराम से अलग खास मुझ ही को अता होगा।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 67
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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