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Monday 9 April 2018

*नमाज़ का तरीक़ा* #91
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*सजदए सहव* #03

_*निहायत अहम मसअला*_
     कसीर इस्लामी भाई ना वाकिफिय्यत की बिना पर अपनी नमाज़ ज़ाए कर बैठते है लिहाज़ा ये मसअला खूब तवज्जोह से पढ़िये।

     मसबुक (यानी जो एक या कई रकअते छूट जाने के बाद नमाज़ में शामिल हुवा) को इमाम के साथ सलाम फेरना जाइज़ नहीं, अगर क़सदन फिरेगा तो नमाज़ जाती रहेगी और अगर भूल कर इमाम के साथ बिला वक़्फ़ा फौरन सलाम फेरा तो हरज नहीं लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता है और अगर भूल कर सलाम इमाम के कुछ भी बाद फेरा तो खड़ा हो जाए अपनी नमाज़ पूरी करके सज्दए सहव करे।
     मसबुक इमाम के साथ सज्दए सहव करे अगर्चे उसके शरीक होने से पहले इमाम को सहव हुवा और अगर इमाम के साथ सज्दए सहव न किया और अपनी बाक़ी नमाज़ पढ़ने खड़ा हो गया तो आखिर में सज्दए सहव करे और इस मसबुक से अपनी नमाज़ में भी सहव हुवा तो आखिर में येही सज्दे इस इमाम वाले सहव के लिये भी काफी है।
     क़ायदाए ऊला में तशह्हुद के बाद इतना पढ़ा *अल्लाहुम्म सल्ली अला मुहम्मदीन* तो सज्दए सहव वाजिब है।
     इस की वजह ये नहीं कि दुरुद शरीफ पढ़ा बल्कि उस की वजह ये है कि तीसरी रकअत के क़याम में ताख़ीर हुई। लिहाज़ा अगर इतनी देर खामोश रहा जब भी सज्दए सहव वाजिब है।
     किसी कायदे में तशह्हुद में कुछ रह गया तो सज्दए सहव वाजिब है नमाज़ फ़र्ज़ हो या नफ्ल।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम स.209*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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