*शबे में'राज के मुशाहदात* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*जन्नत के दरवाज़े पर क्या लिखा था..?*
हज़रते अनस बिन मालिक رضي الله عنه से रिवायत है, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया: जिस रात मुझे मेराज हुई में ने जन्नत के दरवाज़े पर ये लिखा हुवा देखा कि सदके का सवाब 10 गुना और क़र्ज़ का 18 गुना है। मेने जिब्राइल से दरयाफ़्त किया क्या सबब है कि क़र्ज़ का दर्जा सदके से बढ़ गया है? कहा कि साईल के पास माल होता है और फिर भी सुवाल करता है जब कि क़र्ज़ लेने वाला हाजत की बिना पर ही क़र्ज़ लेता है।
मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो! दीने इस्लाम हमें मुसलमानों की खैरख्वाहि का दर्स देता है, एक दूसरे से हमदर्दी का पैगाम देता है और इस बात की तरफ हमारी रहनुमाई करता है कि अगर कभी कोई मुसलमान किसी परेशानी व मुसीबत का शिकार हो जाए तो उससे मुह मोड़ने के बजाए परेशानी से निकलने में उस की मदद करनी चाहिये और अगर माली तौर पर किसी को आज़माइश का सामना हो तो तोहफे की सूरत में या क़र्ज़े हसना दे कर उसे इससे बाहर निकालना चाहिये, फिर इन आमाले हसना पर बे शुमार अज्रो सवाब की बशारत भी अता फ़रमाई ताकि मुसलमानो को इन में खूब खूब रगबत हो और वो सवाबे आख़िरत को पेशे नज़र रखते हुवे हर दुःख दर्द में अपने मुसलमान भाई का साथ दे।
लेकिन आह! फी ज़माना मुसलमानों में एक दूसरे की खैर ख्वाहि की सोच बिलकुल खत्म होती जा रही है, मालो दौलत का इन्हें ऐसा नशा चढ़ा है कि एक दूसरे से तआवुन का जज़्बा ही डीएम तोड़ता जा रहा है। ऐ काश! हम हक़ीक़ी मानों में इस्लाम की तालीमात पर अमल पैरा हो जाएं और हर मुसलमान भाई की परेशानी को अपनी परेशानी समझ कर दूर करने की कोशिश करें कि हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है, आक़ा ﷺ ने फ़रमाया : जो किसी मुसलमान से दुन्या की तकलीफ़ो में से एक तकलीफ दूर करदे अल्लाह उसकी क़यामत के दिन की तकलीफों में से एक तकलीफ दूर फ़रमाएगा, जो किसी तंगदस्त पर दुन्या में आसानी करे अल्लाह दुन्या व आख़िरत में उस पर आसानी फ़रमाएगा, जो दुन्या में किसी मुसलमान की पर्दा पोशी फ़रमाएगा अल्लाह उसकी दुन्या व आख़िरत में पर्दा पोशी फ़रमाएगा और अल्लाह बन्दे की मदद में रहता है जब तक बन्दा अपने भाई की मदद में रहता है।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 71
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Friday 6 April 2018
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