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Thursday 28 June 2018

*अमीरे मुआविया का इश्के रसूल* #07


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*मुशाहबत की वजह से एहतिराम*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमदयार खान  رحمة الله عليه हज़रते अमीरे मुआविया رضي الله عنه से नक़ल फरमाते है: इस सुल्ह (यानी हज़रते इमामे हसन कर हज़रते अमीरे मुआविया के वक़्त वाक़्या ये हुवा की अमीरे मुआविया ने इमामे हसन رضي الله عنه के पास सादा कागज़ भेजा और फ़रमाया की आप जो शराइते सुल्ह चाहें लिख दें मुझे मंज़ूर है, इमामे हसन ने लिखा कि इतना रुपिया सालाना बतौरे वज़ीफ़ा हम को दिया जाया करे और आप के बाद फिर खलीफा हम होंगे, आपने कहा: मुझे मंज़ूर है। चुनान्चे आप सालाना वज़ीफ़ा देते रहे इसके इलावा अक्सर अतिया नज़राने पेश करते रहते थे, एक बार फ़रमाया कि आज में आप को वो नज़राना देता हूँ जो कभी किसी ने किसी को न दिया हो। चुनान्चे आप ने चालीस हजार दिरहम नज़राना किये। जब इमामे हसन अमीरे मुआविया के पास आते तो आप उन्हें अपनी जगह बिठाते खुद सामने हाथ बांध कर खड़े होते, किसीने पूछा: आप ऐसा क्यों करते हैं? अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने फरमाया की इमामे हसन رضي الله عنه हम शक्लें मुस्तफा है इस मुशाहबत का एहतिराम करता हूँ।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 88
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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