بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*गुलाम के यूसुफ عليه السلام को थप्पड़ मारने पर क़हरे खुदावन्दी*
गुलाम ने पीछे देखा तो आप عليه السلام को न पाया वापस आया तो देखा कि आप एक क़ब्र के पास रो रहे हैं उसने कहा तुम्हे बेचने वालों ने सच कहा था कि तुम एक भगोड़े हो, यह कहते हुए उसे आप को एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा दिया, जिससे आप बेहोश होकर गिर गए, फिर जब आप को होश आया तो आपने कहा मुझे कुछ न कहिए यह तो मेरी माँ की क़ब्र है, में अपनी माँ को अलविदाई सलाम करने के लिए सवारी से उतर गया था। आइंदा ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जो तुम्हें न पसन्द हो। आपका चेहरा खून आलूदा था और गिरने की वजह से मिट्टी लगी हुई थी। कांपते हुए रब के हुज़ूर अर्ज़ करने लगे ऐ अल्लाह! अगर मेरु कोई ग़लती हो तो मुझे मेरे आबा इब्राहिम व इस्हाक़ ओर याकूब عليه السلام की हुरमत के वसीले से माफ करदे।
आपकी इस हालत को देखकर आसमानों के फ़रिश्ते भी चिल्ला उठे और अल्लाह के हुज़ूर आपके लिये फ़रयाद करने लगे, रबने फ़रमाया: ऐ मेरे फरिश्तो! यह मेरा नबी है और मेरे अम्बिया का बेटा है जो मुझसे फ़रयाद कर रहा है और मुझसे ही इमदाद का तालिब है। में ही इसका फ़रयाद रस हूं सब फ़रयाद करने वालों की फ़रयाद को ही पहुंचता हु।
रब ने कहा: ऐ जिब्राइल जाओ मेरे बन्दे की इमदाद करो, जिब्राइल ने आकर कहा ऐ अल्लाह के दोस्त तुम्हारा रब तुम्हें सलाम कहता है और तुम्हें यह कहता है, रोने से रुक जाओ, तुमने सात आसमानो के फरिश्तो को रुला दिया है क्या तुम यह चाहते हो ज़मीन व आसमान एक हो जाये? आप ने फरमाया नहीं नहीं, मुझे अल्लाह ने अपनी सिफते हिल्म अता की है वह जल्दबाज़ी नहीं करता तो में भी जल्दी से काम नहीं लेता। जिब्राइल ने अपना पर मारा ज़मीन से सुर्ख रंग की हवा चलने लगी, सूरज की रौशनी खत्म हो गई, सुर्ख आंधी से तारीकी छा गई, क़ाफ़िले वाले एक दूसरे को देख नहीं सकते थे.
ताजिर ने कहा ऐ क़ाफ़िले वालो! अपनी सवारियों से उतरकर अपने आपको हलाकत से बचाओ, मुझे कई साल हो चुके हैं इस रास्ते से गुजरते हुए मेने आज के दिन की तरह कोई दिन नहीं देखा, सब अपने गुनाहों की माफी मांगो। आजकी मुसीबत यक़ीनन हमारे किसी गुनाह का नतीजा है। उस वक़्त हब्शी गुलाम ने बताया कि मैने यूसुफ को मारा था जब मारा तो उसने अपना सर आसमानों की तरफ उठाया था और अपने होठों को भी हरकत दी थी।
ताजिर ने कहा अफसोस तुम्हारी बर्बादी, तुमने हमें भी ओर अपने आप को हलाक कर दिया। ताजिर आप के पास आया और कहने लगा ऐ लड़के हमने तुम्हें मारकर तुम पर जुल्म किया है ऐ लड़के अगर तुम बदला लेना चाहते हो तो बदला ले लो हम हाज़िर है।
आप عليه السلام ने फरमाया: हम ज़ालिमों से बदला नहीं लिया करते, में तो उस घराने से तअल्लुक़ रखता हूँ जो ज़ुल्म करने वालों को माफ कर देते हैं, उनके लिये मगफिरत की दुआ करते हैं, में तुम्हें माफ कर रहा हूँ अल्लाह भी तुम्हें माफ करे।
आपके माफ करने के साथ ही तारीकी खत्म हो गई, आंधी रुक गई, सूरज रौशन हो गया, मशरिक़ व मगरिब तक रौशनी फैल गई इस तरह क़ाफ़िला मिस्र में अमन से आ गया।
नबी की क्या शान है? नबी पर जुल्म करने वाले कैसे गिरफ्त में आए? और नबी कितने साबिर? की जालिमो के लिये दुआ कर रहे हैं। سبحان الله.
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 130
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
*DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
*(बहनो के लिये अलग ग्रुप)*
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, गर होजाये यक़ीन के.. अल्लाह सबसे बड़ा है..अल्लाह देख रहा है..
Pages
- Home
- अब्लाक़ घोड़े सुवार
- नमाज़ के अहकाम
- परदे की फरज़िय्यत
- बुग्ज़ व किना
- परदे की फरज़िय्यत
- मेराज के वाक़ीआत
- मुर्दे की बेबसी
- रमज़ान की बहारे
- अच्छे बुरे अ'मल
- आशिके अक्बर
- आसान नेकियां
- आक़ा का महीना
- वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में
- तौबा की रिवायत व हिक़ायत
- तर्के जमाअत की वईद
- रजब की बहारे
- हयाते गौसुल आलम महबूबे यजदानी सैयद सुल्तान मखदूम अ...
- गौसे पाक का बचपन
- गौषे पाक के हालात
- फातिहा और इसाले षवाब का तरीका
- बीमार आबिद
- बेनमाज़ी का अंजाम
- अश्को की बरसात
- अनमोल हिरे
- अल-हक़्क़ुल मुबीन
- सिरते मुस्तफा 1
- सिरते मुस्तफा 2
- बरकाते ज़कात
- बद गुमानी
- क़ब्र में आनेवाला दोस्त
- तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान
- मदनी पंजसुरह
- सवानहे कर्बला
- शाने खातुने जन्नत
- गुस्से का इलाज
- गफलत
- फुतूह अल ग़ैब
- फ़ारुके आज़म का इश्के रसूल
- फैज़ाने सिद्दिके अकबर
- फैज़ाने खादीजतुल कुब्रा
- फैज़ाने फ़ारुके आज़म
- फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा
- मिलाद शरीफ
- जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ
- तज़किरए इमाम अहमद रज़ा
- प्यारी बाते
Tuesday, 19 June 2018
*तज़किरतुल अम्बिया* #165
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment