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Tuesday 19 June 2018

*फ़ारुके आज़म रदिअल्लाहो तआला अन्हो का फ़ैसला* : # 57


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

         हुज़ूर ﷺ के ज़माने में एक यहूदी और एक मुनाफिक में किसी बात पर झगड़ा पैदा हो गया। यहूदी चाहता था कि जिस तरह भी हो मैं इसे हज़रत मुहम्मद ﷺ  की ख़िदमत में ले चलूं। चुनान्चे वोह कोशिश कर के उसे हुज़ूर ﷺ की बारगाहे अदालत में ले आया और हुज़ूर ﷺ ने वाक़ेआत सुन कर फ़ैसला यहूदी के हक़ में दिया।
     वोह मुनाफ़िक़ यहूदी से कहने लगा मैं तो उमर रदिअल्लाहो तआला अन्हो के पास चलूंगा और उनका ही फ़ैसला मन्ज़ूर करूंगा। यहूदी बोला, अजीब उल्टे आदमी हो। कोई बड़ी अदालत से हो कर छोटी अदालत में भी जाता है? जब तुम्हारे पैगम्बर (ﷺ) फ़ैसला दे चुके यो अब उमर रदिअल्लाहो तआला अन्हो के पास जाने की क्या ज़रूरत है?
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 145
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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