بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हज़रते सफ्वान बिन अम्रرضي الله تعالي عنه फरमाते है : मशाईखे किराम फरमाते है कि जब आप क़रीबुल मर्ग शख्स के पास सूरए यासीन की तिलावत करेंगे तो उस से मौत की सख्ती को हल्का किया जाएगा।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 39*
हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिस ने शबे जुमुआ (यानी जुमेरात की रात) सूरए यासीन की तिलावत की उस की मग्फिरत कर दी जाएगी।
हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : क़ुरआने हकीम में एक सूरत है जिसे अल्लाह तआला के हा अज़ीम कहा जाता है, उसके पढ़ने वाले को अल्लाह तआला के हा शरीफ कहा जाता है, उस को पढ़ने वाला क़यामत के रोज़ रबिआ और मुज़िर क़बाइल से ज़ाइद अफ़राद की शफ़ाअत करेगा, वो सूरए यासीन है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 7/40*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 24*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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