بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: जमाअत की नमाज़ तन्हा नमाज़ से षवाब में 27 दर्जा बढ़कर है।
*✍🏼सहीह मुस्लिम* 1509
हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया: जिसने मुकम्मल वुज़ू किया फिर फ़र्ज़ नमाज़ के लिये चला और इमाम के साथ नमाज़ पढ़ी तो उसके गुनाह बख्श दिये जाएंगे।
*✍🏼सहीह इब्ने खुज़ैम* 1489
हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया: जो अल्लाह की रिज़ा के लिये 40 दिन नमाज़ जमाअत के साथ पढ़े और तकबीर उला पाए उसके लिये दो आज़ादियाँ लिख दी जाएंगी: (1) जहन्नम से (2) निफ़ाक़ से।
*✍🏼तिर्मिज़ी शरीफ* 241
हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया: जिसने जमाअत से ईशा की नमाज़ पढ़ी समझो आधी रात उसने क़याम किया (यानी इबादत की) और जिसने फजर की नमाज़ जमाअत से पढ़ी समझो पूरी रात उसने क़याम किया।
*✍🏼सहीह मुस्लिम* 1523
हज़रत उमर बिन खत्ताब رضي الله عنه फ़रमाते है मेने नबीए करीम ﷺ को ये फ़रमाते हुए सुना: बेशक अल्लाह जमाअत की नमाज़ को पसन्द फ़रमाता है।
*✍🏼मुसन्दे अहमद बिन हम्बल* 5112
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 37
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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