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Friday 19 January 2018

*जवानी कैसे गुज़ारे ?* #14

*जवानी कैसे गुज़ारे ?* #14
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*जवानी नेअमते खुदा वन्दी*
     जवानी अल्लाह की बहुत बड़ी नेअमत है जिसे ये नेअमत मिले उसे इस की क़द्र करते हुए ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त इबादत व इताअत में गुज़ारना चाहिये, वक़्त के अनमोल हीरों को नफ़अ रसानियों का ज़रीआ बनाना चाहिये।
     हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान رحمة الله عليه नक़्ल फ़रमाते है : "जवानी की इबादत बुढ़ापे की इबादत से अफ़्ज़ल है कि इबादत का अस्ल वक़्त जवानी है। वक़्त की क़द्र करो, इसे गनीमत जानो। गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्* 3/167
     खुसुसन अय्यामे जवानी के अवक़ात की क़द्रदानी बहुत ज़रूरी है क्यों कि जवानी में इंसान के आज़ा मज़बूत और ताक़त वर होते है, जिस की वजह से अहकाम व इबादत की बजा आवरी, तनदहि और बड़ी खुश उस्लुबि के साथ मुमकिन  होती है, बुढापे में फिर ये बहारें कहाँ नसीब ! उस वक़्त तो मस्जिद तक जाना भी दुश्वार हो जाता है। भूक प्यास की शिद्दत को बर्दाश्त करने की हिम्मत भी नहीं रहती, नफ्ल तो कुजा फ़र्ज़ रोज़े पुरे करना भी भारी पड़ जाते है और वेसे भी जवानी की इबादत इम्तियाज़ी हैसिय्यत रखती है।
*✍🏼जवानी कैसे गुज़ारे ?* 23
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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