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Friday 19 January 2018

*मज़ारात पर जाना और मन्नत मानना*

*मज़ारात पर जाना और मन्नत मानना*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     किसी वली अल्लाह की मज़ार पे जाने से पहले 2 रकअत नमाज़ पढ़े और उन हज़रत को इसका षवाब पोहचाये।
     मज़ार पर हाज़री इस तरह दे की हज़रत की पाँव की जानिब से जाए और उनकी सीधे हाथ की जानिब खड़े रहे, फिर यूं सलाम अर्ज़ करे *अस्सलामु अलैक या सैय्यदी व-रह-मतुल्लाहे व-बरकातुहु* फिर फातेहा पढ़े।
     अगर मन्नत मांगनी है तो इस तरह मांगे...
आप मुझ गुनाहगार के लिये अल्लाह से दुआए मगफिरत करे, दुआए खैर करे और मेरी इस मुराद (अब जो मुराद हो वो कहे) अल्लाह पूरा करे इस के लिये दुआ करे। अगर ये मुराद पूरी हुई तो ان شاء الله 2 रकअत नमाज़ पढ़ के इसका षवाब आप की बारगाह में नज़र करूँगा और 2 रकअत शुक्राना की अदा करूँगा।

*वॉर्निंग* :
     अगर मज़ार पर पहले से कपड़े की चादर है तो दूसरी चादर न चढ़ाए, बेहतर है फूल की चादर चढ़ाए, और उससे भी बेहतर है की सिर्फ एक ही फूल ले के आप की मज़ार पे रख दे, मज़ार को न हाथ लगाए, न बोसा दे। कम अज़ कम एक हाथ की दुरी पर खड़े रहे।
     ओरतो का मज़ारात पे जाना हराम है.... जब औरत मज़ार पे जाने के लिए घर से निकलती है उस वक़्त से वापस लौटने तक फ़रिश्ते उस पर लानत करते रहते है।
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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