Pages

Thursday 25 January 2018

*जवानी कैसे गुज़ारे ?* #20

*जवानी कैसे गुज़ारे ?* #20
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*इमाम ग़ज़ाली की नसीहत*
     हज़रत मुहम्मद ग़ज़ाली رحمة الله عليه जवानों और तौबा में टाल मटोल करने वालों को समझाते हुए इर्शाद फ़रमाते है: क्या तुम गौर नही करते कि तुम कब से अपने नफ़्स से वादा कर रहे हो कि कल अमल करूँगा, कल करूँगा और वो कल आज में बदल गया। क्या तुम नही जानते कि जो कल आया और चला गया वो गुज़श्ता कल में तब्दील हो गया बल्कि अस्ल बात ये है कि तुम आज अमल करने से आजिज़ हो तो कल ज़्यादा आजिज़ होंगे (आज का काम कल पर छोड़ने और तौबा व इताअत में ताखीर करने वाला) उस आदमी की तरह है कि जो दरख्त को उखाड़ने से जवानी में आजिज़ हो और उसे दूसरे साल तक मुअख्खर कर दे हालांकि वो जानता है कि जूं जूं वक़्त गुज़रता चला जाएगा दरख्त ज़्यादा मज़बूत और पुख्ता होता जाएगा और उखाड़ने वाला कमज़ोर-तर होता जाएगा पस जो उसे जवानी में न उखाड़ सका वो बुढ़ापे में कतअन न उखाड़ सकेगा।
*✍🏼احياء العلوم ٤/٨٢*
     इमाम ग़ज़ाली رحمة الله عليه का ये मुबारक फरमान किस क़दर फ़िक्र अंगेज़ है कि जो शख्स जवानी में अहकामे शरइय्या व इताअते इलाहिय्यह की बजा आवरी में कोताही बरतता है तो उस से कैसे उम्मीद रखी जा सकती है कि वो बुढ़ापे में इन गलतियों का मुदावा कर सकेगा क्योंकि उस वक़्त तो जिस्म व आज़ा कमज़ोरी का शिकार हो चुके होंगे लिहाज़ा जवानी को गनीमत जानिये और इसी उम्र में नफ़्स के बे लगाम और मुंहजोर घोड़े को लगाम दे दीजिये और तौबा करने में जल्दी कीजिये कि न जाने किस वक़्त मौत का पैगाम आ जाए क्योंकि मौत तो न जवानी का लिहाज़ करती है न बचपन की परवाह।
     लिहाज़ा ख्वाह उम्र का कोई भी हिस्सा हो, मौत को पेशे नज़र रखिये, तौबा करने में जल्दी कीजिये और जवान तो इस पर ज़्यादा ध्यान दे कि जवानी की तौबा अल्लाह को बहुत पसन्द है।
*✍🏼जवानी कैसे गुज़ारे ?* 34
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment