*तज़किरतुल अम्बिया* #49
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام*
#43
*हज़रत आदम عليه السلام की तौबा*
फिर सिख लिये आदम ने अपने रब से कुछ कलिमे तो अल्लाह का उन पर रुजू बरहमत हुआ बेशक वही बहुत तौबा क़बूल करने वाला बेहद रहम फरमाने वाला है।
तलक़्क़ा का मायने है कि आगे बढ़कर मुलाक़ात करना यानी इस्तिक़बाल करना अब मायने यह होगा कि आदम عليه السلام ने आने वाले बा वक़ार मेहमानों और मोअज़्ज़म अहबाब की तरह मुहब्बत व इकराम के साथ अल्लाह के कलीमात का इस्तिक़बाल किया। वह कलीमात क्या थे? अल्लामा अबू हैयान ने फरमाया: अल्लाह ने वाज़ेह तौर पर वह कलीमात नहीं बताये बल्कि फतलक़्क़ा आदमु मिर रब्बिही कलिमातीन फ़रमाकर हमें सिर्फ कलीमात मुबहेमा की खबर दी इसलिये उनकी तअय्युन में अहले इल्म से चन्द अक़वाल मन्कुल है।
(1) इब्ने अब्बास رضي الله عنه और बाज़ दीगर उलमा ने कहा कि वह कलीमात यह है: "रब्बना ज़लमना अनफुसना व इल्लम तगफिर लना व तर हमना ल न कुनन्ना मीनल खासिरिन"।
(2) अब्दुल्लाह बिन मसूद رضي الله عنه से मन्कुल है कि वह कलीमात यह है: "सुब्हान क अल्लाहुम्मा व बिहमदिक व तबा र क्स्मुक व तआला जद्दूक व ला इलाहा गैरू क"।
(3) वहब और महम्मद बिन कअब व अब्दुल्लाह बिन अब्बास से मन्कुल है: "सुब्हान क अल्लाहुम्मा बिहमदि क अमिलतु सू अ व ज़ल्मतु नफ्सी फग फिरली इन्नक खैरुल गाफिरिन"।
(4) एक क़ौल यह है कि आदम عليه السلام ने साके अर्श पर मुहम्मद ﷺ लिखा हुआ देखा तो उन्होंने उसी इसमें मुबारक को अपनी शफ़ाअत का ज़रिया बनाया यह आखरी क़ौल हज़रत अब्दुल अज़ीज़ मोहद्दिस दहेल्वी رحمة الله عليه ने भी ब रिवायत तिबरानी बेहक़ी हाकिम हज़रत फ़ारूक़ رضي الله عنه तफ़सीर अज़ीज़ी में नकल किया "ऐ अल्लाह में तुझे हज़रत मुहम्मद ﷺ का वास्ता देकर माफ़ी चाहता हूँ"।
इसी तफ़सीर अज़ीज़ी में हज़रत अली كَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم से भी ब रिवायत इब्नुल मंज़र मन्कुल है।
अगर आदम عليه السلام नबीए करीम ﷺ के आईएसएम गिरामी को बतौर वसीला न पेश करते और इसी तरह नूह عليه السلام आप के इसमें गिरामी का वसीला न लाते तो न आदम عليه السلام की तौबा क़बूल होती और न नूह عليه السلام गर्क होने से नजात हासिल करते।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 56
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Saturday 10 February 2018
तज़किरतुल अम्बिया* #49
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