*इज़तिराबे इश्क* #13
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
एक दिन हुजूर ﷺ के आशिके ज़ार हज़रते सैबान रदिअल्लाहो तआला अन्हो हाज़िर हुवे तो उनका चेहरा उतरा हुवा और रंग उड़ा हुवा देख कर हुज़ूर ﷺ ने वजह पूछी तो दर्दमंद आशिक ने अर्ज़ किया: या रसूलुल्लाह! ﷺ न कोई जिस्मानी तकलीफ है न कहीं दर्द। बात यह है कि रूखे अनवर जब आंखों से ओझल होता है तो दिल बेताब हो जाता है फौरन ज़ियारत से इस को तसल्ली देता हूं।
अब रह रह कर मुझे येह ख़याल सता रहा है कि जन्नत में हुज़ूर ﷺ का मक़ामे बुलन्द कहां होगा और येह मिस्कीन किस गोशे में पड़ा होगा। अगर रुए ताबां की ज़ियारत न हुई तो मेरे लिये जन्नत की सारी लज्जतें खत्म हो जाएंगी, फ़िराक व हिज्र का येह जांका सदमा तो इस दिले ना तुवां से बर्दाश्त न हो सकेगा।
हुज़ूर ﷺ यह माजरा सुन कर खामोश हो गए। यहां तक कि जिब्रईले अमीन अलैहिस्सस्लाम ये मुज़्दा ले कर तशरीफ़ लाए।
*तर्जमए कन्जुल ईमान* : _और जो अल्लाह और उसके रसूल का हुक्म माने तो उसे उन का साथ मिलेगा जिन पर अल्लाह ने फ़ज़्ल किया या'नी अम्बिया और सिद्दीक और शहीद और नेक लोग।_
इताअत गुज़ार उश्शाक को जन्नत में जुदाई का सदमा नहीं पहुंचेगा बल्कि उनको अपने महबूब ﷺ की मइय्यत व रुयत मुयस्सर होगी। हकीकत यह है कि इश्के मुस्तफ़वी में सिर्फ हज़रते सैबान रदिअल्लाहो तआला अन्हो की येह कैफ़ियत न थी बल्कि सब सहाबा रदिअल्लाहो तआला अन्हुम का येही हाल था।
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 83
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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